मुजफ्फरपुर प्रकरण: आइजीआइएमएस में पांच और संक्रमित पहुंचे, रोशनी लौटने की उम्मीद कम

खगड़िया जिले के अलौली थाना क्षेत्र के हरीपुर निष्ठा की भागमती देवी की सिर्फ विट्रो रेटिनल सर्जरी की गई थी। क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के प्रमुख डा. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि एक मरीज में हैदराबाद से लाए गए कार्निया को प्रत्यारोपित किया गया।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 10:25 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 10:25 PM (IST)
मुजफ्फरपुर प्रकरण: आइजीआइएमएस में पांच और संक्रमित पहुंचे, रोशनी लौटने की उम्मीद कम
मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का आपरेशन कराने वाले कई मरीजों की आंखों की रोशन चली गई है। सांकेतिक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना : मुजफ्फरपुर के निजी अस्पताल में मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद संक्रमण से रोशनी गंवाने वाले पांच और मरीजों को शनिवार को आइजीआइएमएस में भर्ती कराया गया। शुक्रवार को यहां नौ मरीज भर्ती कराए गए थे। डाक्टरों के अनुसार इन मरीजों का संक्रमण काबू हो जाएगा, परंतु रोशनी लौटने की उम्मीद कम है। डाक्टरों की टीम ने शुक्रवार को वैशाली जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र के जगदीश राम, मुजफ्फरपुर के मुशहरी थाना क्षेत्र के मोमिनपुर निवासी मो. जुमराती की विट्रो रेटिनल सर्जरी और कार्निया प्रत्यारोपण किया गया, जबकि खगड़िया जिले के अलौली थाना क्षेत्र के हरीपुर निष्ठा की भागमती देवी की सिर्फ विट्रो रेटिनल सर्जरी की गई थी। क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के प्रमुख डा. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि एक मरीज में हैदराबाद से लाए गए कार्निया को प्रत्यारोपित किया गया। यह एक दिसंबर को लाया गया था जिसे प्रतीक्षा सूची के मरीज में प्रत्यारोपित किया जाना था, लेकिन इमरजेंसी में इसे मुजफ्फरपुर कांड के मरीज में प्रत्यारोपित कर दिया गया। 

रोशनी बचने की गुंजाइश कम

मरीजों के उपचार की टीम का नेतृत्व कर रहे डा. विभूति प्रसन्न सिन्हा व डा. नीलेश मोहन ने बताया कि पहली बार इतनी संख्या में गंभीर इंफेक्शन के मरीज पहुंचे हैं। इन मरीजों की आंखों की रोशनी लौटने की संभावना कम है। यहां 13 मरीजों का एक वार्ड फुल हो गया है। अब क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के मेन वार्ड में एक मरीज को भर्ती किया गया है। मरीजों में अब संक्रमण फैल नहीं रहा है। सघन निगरानी रखी जा रही है। इसके लिए रेटिना विशेषज्ञ डा. अभिषेक आनंद, डा. शिवांगी, डा. ज्ञान भाष्कर, डा. राखी कुसुमेश आदि की टीम लगातार कार्य कर रही है। 

अब तक 559 का हुआ कार्निया प्रत्यारोपण, 300 लाइन में

नेत्र बैंक प्रभारी डा. नीलेश मोहन ने बताया कि नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। नेत्रदान में मृतक का केवल कार्निया निकाला जाता है। इससे कोई क्षति नहीं होती है। एक व्यक्ति से चार लोगों में कार्निया प्रत्यारोपण कर उन्हें रोशनी दी जा सकती है। डा. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि नेत्र बैंक में अब तक 620 कार्निया दान किए गए हैं। इसमें 559 का प्रत्यारोपण हो चुका है। अभी भी नेत्रदान की प्रतीक्षा 300 से अधिक नेत्र रोगी कर रहे है। 

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