पटना में फर्जी डॉक्टर बनकर कोरोना पीड़ितों से ठग लिए लाखों, PMO के पास पहुंचा मामला

पटना एम्स में कोरोना पीड़ृितों के इलाज के नाम पर लाखों रुपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया है। फुलवारीशरीफ स्थित एम्स में कई कोरोना पीड़ितों से फर्जी डॉक्टर बनकर उनसे दवा के नाम पर मोटी राशि वसूलने का आरोप है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 11:35 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 01:15 PM (IST)
पटना में फर्जी डॉक्टर बनकर कोरोना पीड़ितों से ठग लिए लाखों, PMO के पास पहुंचा मामला
कोरोना पीड़ृितों के इलाज के नाम पर राजधानी में लाखों रुपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया है।

जागरण संवाददाता, पटना: कोरोना पीड़ृितों के इलाज के नाम पर राजधानी में लाखों रुपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया है। फुलवारीशरीफ स्थित एम्स में कई कोरोना पीड़ितों से फर्जी डॉक्टर बनकर उनसे दवा के नाम पर मोटी राशि वसूलने का आरोप है। मामला प्रकाश में आते ही आरोपी फर्जी चिकित्सक फरार हो गया है। इस मामले में एक पीड़िता ने फुलवारीशरीफथाने में आरोपी चिकित्सक जयप्रकाश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। 

इस मामले में पीडि़ता साक्षी गुप्ता ने बताया कि वह रोहतास जिले के संझौली की रहने वाली है। उसके पिता लालबाबू गुप्ता 17 जुलाई को कोरोना संक्रमित हुए थे। उन्हें उसी दिन इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था। अंदर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा था। इसके कारण वे लोग काफी परेशान थे। इसी बीच एम्स में ही उसकी मुलाकात डॉ. जयप्रकाश से हुई। उसने थोड़ी देर बाद ही उसके पिताजी की बेड पर की तस्वीर दिखा उन्हें विश्वास में ले लिया। दूसरे दिन वीडियो कॉल करवाकर पिताजी से बात भी करवा दी। इससे विश्वास बढ़ गया। इसके बाद चौथे दिन उससे कहा गया कि उसके पिता की हालत गंभीर है। तीन इंजेक्शन देने होंगे। एक इंजेक्शन की कीमत 20,400 रुपये आएगी। उसने दो इंजेक्शन के लिए 40,800 रुपये उन्हें दे दिए। तीसरे इंजेक्शन का पैसा देते समय उन्हें शक हो गया। इसके बाद आसपास के लोगों से उसकी जानकारी इकट्ठा करने लगीं तो पता चला कि वह कई लोगों से दवा के नाम पर लाखों रुपये ऐंठ चुका है। इसी बीच उसके पिता की मौत हो गई। वह परेशान हो गई थी। उनके क्रिया-कर्म में व्यस्त रहने के कारण पुलिस को इसकी सूचना नहीं दे सकी थीं। घर से ही उसने प्रधानमंत्री को मेल व ट्विटर से इस घटना की जानकारी दे दी। कुछ दिनों तक कोई जवाब न मिलने पर दोबारा इसकी सूचना दे दी। इसके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से उसे जवाब भेजा गया। एम्स को जांच का आदेश दिया गया। 

20 जनवरी को एम्स प्रबंधन ने जांच कर बताया कि इस अस्पताल में डॉ. जयप्रकाश नाम का कोई चिकित्सक नहीं है। जब उनसे कहा गया कि अस्पताल के अंदर से उसके द्वारा उसके इलाजरत पिता की तस्वीर भेजना व वीडियो कॉल से बात कराना कैसे संभव हो गया? इस बात पर अस्पताल प्रशासन कुछ नहीं बोल रहा है। 24 जनवरी को फुलवारी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। 

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