लौट के आए परदेसी तो बिहार के गांवों में बढ़ गए झगड़े-रगड़े, घर-आंगन में लड़ रहे रिश्‍तेदार

परदेसी कहें या प्रवासी काफी संख्‍या में कोरोना काल में बिहार लौट आए हैं। पहले लोगों में प्‍यार जगा। लेकिन अब झगड़े-रगड़े बढ़ गए हैं। घर-जमीन की हिस्‍सेदारी के लिए वे लड़ रहे हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 08:03 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 05:02 PM (IST)
लौट के आए परदेसी तो बिहार के गांवों में बढ़ गए झगड़े-रगड़े, घर-आंगन में लड़ रहे रिश्‍तेदार
लौट के आए परदेसी तो बिहार के गांवों में बढ़ गए झगड़े-रगड़े, घर-आंगन में लड़ रहे रिश्‍तेदार

पटना, रमण शुक्ला। लंबे समय से प्रवास में रहे लोग गांव लौट रहे हैं। प्रवासियों का गांव से रिश्ता जुड़ा, लेकिन इसका उलट परिणाम भी अब आने लगे हैं। परिवारों में झगड़े बढ़ गए हैं। रगड़े (बेमतलब के झगड़े) भी बढ़ गए हैं। जैसे शहर से लौटे एक भाई का सवाल था कि इस वर्ष आम के पेड़ पर इतने फल दिख रहे, पिछले वर्ष तो फोन पर बताते थे कि आम आया ही नहीं। बड़े भाई और भाभी यह सफाई देते-देते नाराज हो गई हैं कि आम तो हर वर्ष एक जैसा नहीं आता। आता भी है तो आंधी और ओले की वजह से बचता कहां है? इस तरह के सवाल दूरी बढ़ा रहे। 

दो माह में पहुंच गए 40 हजार मामले

पिछले दो महीने में बिहार के पंच-सरपंच की कचहरी में 40 हजार झगड़े सुलझाने के लिए पहुंचे हैं। कुल 8683 पंचायतों के 45 हजार गांवों और 1.13 लाख टोलों से झगड़े के आंकड़े दर्ज हुए हैं। पैतृक संपत्ति में हिस्सा, बाग-खेत को बटाई पर लगाने वाले व्यक्ति के चयन, मकान के कमरों का बंटवारा, पिछले वर्ष की उपज का हिसाब - जैसे कई विषय इन दिनों घर-आंगन में विवाद का वजह बन रहे।

रिश्‍तेदारों में बढ़ रहा विवाद

दअरसल, प्रवास में रहे भाई-चाचा को लॉकडाउन के पहले ज्यादा मतलब नहीं होता था या फुरसत नहीं होती थी कि वह इन गांव में मामूली आय वाले इन 'पचड़ों' में पड़ें। लेकिन अब ऐसे 'पचड़े' महत्वपूर्ण हो गए हैं। कभी खाली पड़े रहे मकान अब भरे-पूरे हो गए हैं। भाई-भाई, चाचा-भतीजा, सास-बहू और ननद-भौजाई के झगड़े भी बढ़े हैं। 

कहते हैं कि पंच-सरपंच संघ के अध्‍यक्ष 

बिहार राज्य पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष आमोद कुमार निराला कहते हैं कि पंच-सरपंच संघ ने 40 हजार से अधिक गृह कलह और आपसी विवाद के मामलों का समझौता से निपटारा कराया है। इनमें से कुछ मामले अभी भी बने हुए हैं। प्रवासियों के लौटने की वजह से ही सर्वाधिक झगड़े बढ़े हैं। गांव की कचहरी में जब ऐसे मामले पहुंच रहे तो संबंधित पक्षों को समझाया जा रहा। आपस में प्रेम से रहने की सीख दी जा रही। भाई-भाई में छोटी बात पर विवाद उचित नहीं। 

इगो के कारण मामूली झगड़े भी पकड़ लेते तूल

निराला कहते हैं कि इन झगड़ों का निपटारा भी मुश्किल होता है। कारण कभी-कभी मामूली होते हैं, लेकिन 'इगो' बड़ा होता है। बिहार में पंचायती राज कानून के तहत सरपंच, उप सरपंच और पंच को आइपीसी की धाराओं के तहत 10 हजार रुपये तक के मामलों की सुनवाई और अधिकतम एक हजार रुपये जुर्माना करने का अधिकार है। ग्रामीणों के बीच झगड़ा-विवाद होने पर पंचायतें समझौता करा सकती हैं। आपराधिक मामलों की सुनवाई भी कर सकती हैं। उन्हें लगान वसूली, संपत्ति की क्षति एवं बंटवारा आदि की सुनवाई का अधिकार है। वह इस अधिकार का इस्तेमाल कर अधिसंख्य मामलों को पुलिस थाने तक जाने से रोकते हैं।

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