नीकू का पता नहीं, एक्सपायर होने को लाखों की दवा

श्री गुरु गोविद सिंह सदर अस्पताल में 10 बेड की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (नीकू) खोलने की कई सालों से की जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 12:32 AM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 12:32 AM (IST)
नीकू का पता नहीं, एक्सपायर होने को लाखों की दवा
नीकू का पता नहीं, एक्सपायर होने को लाखों की दवा

पटना। श्री गुरु गोविद सिंह सदर अस्पताल में 10 बेड की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (नीकू) खोलने की कई सालों से की जा रही है। नीकू का अभी तक अता-पता नहीं है, लेकिन दवा को लेकर विभाग की तत्परता इतनी कि नवजात के लिए जीवन रक्षक दवा सर्फेक्टेंट की 1010 वायल पिछले वर्ष ही अस्पताल को भेज दी गई थी। बेहद महंगी यह दवा अस्पताल के स्टोर में पड़ी अब एक्सपायर होने के करीब है। इस दवा को अस्पताल के लिए अनुपयोगी बता कर इसे वापस लेने और किसी मेडिकल कालेज अस्पताल में भेजने की अनुशंसा का पत्र अस्पताल प्रशासन बीएमएसआइसीएल, स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख, जिला स्वास्थ्य समिति, सिविल सर्जन से लेकर विभाग के कई अधिकारियों को लगातार लिख रहा है।

अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक, उपाधीक्षक, शिशु रोग विभाग के डाक्टर एवं स्टोर इंचार्ज का कहना है कि एसजीजीएस सदर अस्पताल में नीकू है ही नहीं। यह दवा अस्पताल में क्यों और किसके द्वारा मंगाई गई, यह भी जानकारी नहीं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 से ही सर्फेक्टेंट दवा का 1010 वायल अस्पताल में बेकार पड़ी है। इसमें से करीब 500 वायल अगले साल मई और 500 वायल अक्टूबर में एक्सपायर हो जाएगी। अप्रैल 2021 से लेकर अब तक दर्जनभर पत्र विभाग को लिखा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है।

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सर्फेक्टेंट दवा की 1010 वायल एसजीजीएस अस्पताल में होने की जानकारी है। नीकू नहीं होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो रहा है। इसे मेडिकल कालेज में भेजा जाना चाहिए। इस संदर्भ में विभाग को सूचित किया गया है। आगे बातचीत करूंगी।

- डा. विभा कुमारी, एसजीजीएस अधीक्षक सह सिविल सर्जन

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- नीकू विशेषज्ञ बोले- कई नवजात की बच सकती है जान

नीकू मामलों के विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे का फेफड़ा ठीक से काम नहीं करता है। सांस लेने में समस्या उत्पन्न हो जाती है। सर्फेक्टेंट को पाइप के रास्ते फेफड़े तक पहुंचाया जाता है। इससे फेफड़ा को ताकत मिलती है। बाजार में एक वायल की कीमत लगभग पांच हजार रुपये है। भर्ती नवजात को उसके वजन अनुसार औसतन दो वायल यानी करीब दस हजार रुपए की यह दवा दी जाती है। ऐसे महत्वपूर्ण दवा का सदर अस्पताल में सालभर से बेकार पड़े रहना चिता का कारण है।

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