बक्सर के अस्पताल में फिनाइल से मरीज का इलाज! केंद्र और राज्य दोनों स्वास्थ्य मंत्रियों के यहां से ताल्लुक
अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी है। वह भी तब जब सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय बक्सर के प्रभारी मंत्री हो और सांसद अश्विनी चौबे केंद्र में स्वास्थ्य राज्य मंत्री का पद सुशोभित कर रहे हो।
बक्सर, जागरण संवाददाता। बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक मरीज के जख्मों पर एक शख्स को कोई लिक्विड डालते हुए देखा जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि अस्पताल का एक सफाईकर्मी मरीज के जख्मों पर फिलाइल डाल रहा है। इसको लेकर लोग अस्पताल प्रशासन की आलोचना कर रहे हैं। हालांकि अस्पताल का प्रशासन का दावा इससे इतर है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जख्म पर बेटाडीन दवा डाली गई थी। हालांकि इस बात का जवाब देने को कोई तैयार नहीं है कि क्या मरीज का उपचार सफाईकर्मी करेगा। बक्सर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का निर्वाचन क्षेत्र है और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय इस जिले के प्रभारी हैं।
जीआरपी ने पहुंचाया था अस्पताल
बताया जा रहा है कि 10 दिन पूर्व ट्रेन से गिरकर घायल एक व्यक्ति को जीआरपी के द्वारा अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसकी भाषा से ऐसा लग रहा था कि, वह पश्चिम बंगाल का रहने वाला है हालांकि, उसके पास से ऐसा कोई पहचान अथवा प्रमाण पत्र नहीं मिला जिससे कि यह ज्ञात हो सके कि वह कहां का रहने वाला है और यहां कैसे पहुंचा? घायल को अस्पताल पहुंचा कर जीआरपी ने अपने कर्तव्यों की इतिश्री तो कर ली लेकिन, अस्पताल के चिकित्सकों के द्वारा उसके इलाज में घोर लापरवाही बरती गई।
इलाज के अभाव में सड़ने लगे हैं जख्म
बताया तो यह भी जा रहा है कि उसका इलाज ही नहीं किया गया। ऐसे में पड़े-पड़े उसके जख्म सड़ने लगे और उनसे तेज दुर्गंध आने लगी। बाद में अस्पताल में इलाज रख अन्य मरीजों के परिजनों ने जब इसकी शिकायत की तो अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के जगह दुर्गंध से मुक्ति पाने का उपाय ढूंढा और घायल मरीज के जख्मों पर फिनाइल का छिड़काव शुरू कर दिया।
सिविल सर्जन ने कही कार्रवाई की बात
मानवता को शर्मिंदगी का बोध कराने वाले इस घटना का वीडियो पास खड़े सामाजिक कार्यकर्ता अंबुज पांडेय के द्वारा बना लिया गया, जिसे बाद में डिजिटल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। मामले में सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यह बेहद गंभीर मामला है। अगर शिकायत सही पाई गई तो ऐसा करने वाले स्वास्थ्य कर्मी पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही साथ अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से भी शोकॉज़ किया जाएगा। बहरहाल, सिविल सर्जन के इस तरह के बयान के बावजूद समाचार लिखे जाने तक घायल व्यक्ति का इलाज नहीं शुरू हो सका है।