पटना के सरकारी स्कूलों की बदल रही सूरत, बन रहे हैं 'हैप्पी स्कूल'
इनर व्हील क्लब ऑफ पटना की महिलाओं ने सरकारी स्कूलों को कोसने के बजाय उसकी दशा सुधारने का बीड़ा उठाया है।
सरकारी स्कूलों का भवन बड़ा होता है, शिक्षक भी होते हैं मगर अक्सर आधारभूत संरचना की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित होती है। सरकारी स्कूलों के बच्चे भी सुविधाओं के अभाव में मन मुताबिक पढ़ाई नहीं कर पाते। मगर अब पटना में धीरे-धीरे ही सही बदलाव हो रहा है। इनर व्हील क्लब ऑफ पटना की महिलाओं ने सरकारी स्कूलों को कोसने के बजाय उसकी दशा सुधारने का बीड़ा उठाया है। क्लब सरकारी स्कूलों को 'हैप्पी स्कूल' बना रहा है। दैनिक जागरण के माय सिटी माय प्राइड से प्रेरित होकर क्लब दो और स्कूलों को हैप्पी स्कूल बनाए जाने की तैयारी में है।
तीन सालों में 12 स्कूलों को लिया गोद
इनर व्हील क्लब ऑफ पटना ने तीन सालों में 12 सरकारी स्कूलों को गोद लिया है। क्लब की अध्यक्ष विभा चरण पहाड़ी बताती हैं कि इस प्रोजेक्ट के तहत हमारी टीम पहले वैसे स्कूलों को चुनती हैं जहां सुविधाएं कम हैं। हमारी टीम स्कूल का निरीक्षण कर ये भी देखती है कि स्कूल में सबसे ज्यादा किन चीजों की कमी है। उसे हम अपने बजट के हिसाब से पूरा करते हैं।
50-60 हजार रुपये एक स्कूल पर खर्च
विभा बताती हैं कि एक सरकारी स्कूल को हैप्पी स्कूल बनाने में औसत 50 से 60 हजार रुपये खर्च होते हैं। इसमें बच्चों के बैठने के लिए बेंच, शुद्ध पीने का पानी, शौचालय की सुविधा, खेलने के लिए सामान, लाइब्रेरी आदि की सुविधा पूरी की जाती है।
महीने में एक बार जाते हैं स्कूल
इनर व्हील क्लब ऑफ पटना ने तीन सालों में जितने भी स्कूलों को गोद लिया है, वहां हर महीने में एक बार क्लब की सदस्य जाकर हाल-चाल लेती हैं। अगर उस वक्त किसी चीज कि जरूरत होती है तो उसे भी पूरा करने की कोशिश की जाती है। स्कूल में समय से पढ़ाई हो रही है या नहीं, शिक्षकों को किसी प्रकार कि कोई परेशानी तो नहीं है, इन सब के बारे में भी समय-समय पर जानकारी ली जाती है। बच्चों को पढ़ाई और समाज के प्रति जागरूक भी किया जाता है।
जागरण की पहल पर दो और स्कूलों को लेना है गोद
विभा चरण बताती हैं कि दैनिक जागरण की पहल पर अक्टूबर में क्लब दो और सरकारी स्कूलों को गोद लेने वाला है। इसमें जगदेव पथ स्थित मुरलीचक प्राथमिक विद्यालय और फुलवारी स्थित उफरपुरा प्राथमिक विद्यालय का नाम शामिल है। इस स्कूल में बच्चों को वो सारी सुविधाएं दी जाएंगी जिनसे उनको पढ़ाई करने में कोई भी परेशानी न हो। फिलहाल दोनों स्कूल में कुल 200 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
इन स्कूलों को लिया गया गोद
धनकी प्राथमिक विद्यालय, शिशु निकेतन प्राइमरी स्कूल, गबरू चक प्राइमरी स्कूल, मिलकी मोहल्ला प्राइमरी स्कूल, जगदेव पथ प्राइमरी स्कूल, अगमकुआं प्राइमरी स्कूल, दुजरा प्राइमरी स्कूल, दुजरा उर्दू प्राथमिक विद्यालय, बेलाक मध्य विद्यालय, द्विव्यांग विद्यालय वेदनगर।