बिहार: चपरासी, माली, गेटकीपर बनने को तैयार हें MBA MCA वाले, हो रही बयानबाजी

बिहार विधान सभा के ग्रुप डी के 166 पदों के लिए आए पांच लाख आवेदन आए हैं। एमबीए एमसीए डिग्रीधारी उम्मीदवारों ने चपरासी माली और गेटकीपर के लिए अप्लाई किया है। इसपर राजनीति तेज है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 10:40 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 03:07 PM (IST)
बिहार: चपरासी, माली, गेटकीपर बनने को तैयार हें MBA MCA वाले, हो रही बयानबाजी
बिहार: चपरासी, माली, गेटकीपर बनने को तैयार हें MBA MCA वाले, हो रही बयानबाजी

 पटना, जेएनएन। बिहार में नौकरी की किल्लत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एमबीए और एमसीए की डिग्री वाले भी चपरासी, माली और गेटकीपर तक बनना चाह रहे हैं। हम बात कर रहे हैं बिहार विधानसभा के ग्रुप डी के 166 पदों के लिए आए पांच लाख आवेदनों की, जिसमें ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट से लेकर एमबीए और एमसीए किए तक लोगों ने आवेदन दिया है। इसे लेकर बिहार की राजनीति में भी बयानबाजी हो रही है।

चपरासी, माली, गेटकीपर, सफाईकर्मी बनने को तैयार हैं एमबीए, एमसीए वाले

एक पद के लिए तीन हजार दावेदार हैं। बता दें कि ग्रुप डी के दायरे में चपरासी, माली, गेटकीपर, सफाईकर्मी जैसे पद हैं और इन पदों पर काम करने के लिए एमबीए और एमसीए डिग्रीधारक भी तैयार हैं। पदों के लिए आवेदन की संख्या के अनुसार 4,99,832 आवेदन छंट जाएंगे। 

एक दैनिक अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार कुछ आवेदनकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बहुत मजबूरी में इन पदों के लिए अप्लाई किया है, क्योंकि दूसरा कोई उपाय नहीं है। हालात ऐसे हैं कि ये उच्च शिक्षित उम्मीदवार इस आस में बैठे हैं कि दस हजार की भी नौकरी पा जाएं तो बहुत है। सरकारी नौकरी अहम है। इनमें से ऐसे उम्मीदवार हैं जो अपने ही राज्य में नौकरी करना चाहते हैं।

बिहार के शिक्षा मंत्री ने भी माना-बेरोजगारी बढ़ी है

जदयू नेता और बिहार के शिक्षामंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि बेरोजगारी ही है, जिसकी वजह से 186 Group-D पोस्ट के लिए पांच लाख आवेदन आए हैं। रोजगार कम हैं और आवेदकों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इससे निपटने के लिए सरकार को कोई तकनीक अपनानी चाहिए। 

Bihar Education Min & JDU leader KN Prasad Verma on '5 lakh applications have been received for 186 Group-D posts': It is because there is unemployment. Number of jobs is limited, while number of candidates is increasing. There is a need to adopt a technique to solve this problem pic.twitter.com/zm6eaYtwA4

— ANI (@ANI) November 22, 2019

कांग्रेस ने कहा-मजबूर हैं युवा, बेरोजगारी की स्थिति भयावह

इधर, इस मुद्दे को लेकर बिहार में राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने इसे देश में और राज्य में बेरोजगारी का नमूना बताया है। उन्होंने कहा कि इन पदों पर इंटरव्यू बिते सितंबर में शुरू हुआ है और रोज डेढ़ हजार आवेदकों का इंटरव्यू हो रहा है और इसके लिए बिहार के साथ ही मध्य प्रदेश और झारखंड से भी लोग आ रहे हैं। यह दर्शाता है कि पूरे देश में बेरोजगारी की स्थिति कितनी भयावह है।

राजद ने किया कांग्रेस का समर्थन 

वहीं, राजद विधायक अनवर आलम ने भी प्रेमचंद्र मिश्रा की बातों का समर्थन किया और कहा देश के लिए इससे बड़े दुर्भाग्य की बात और क्या होगी कि बड़ी डिग्रियां रखनेवाले भी मामूली पदों पर काम करने को तैयार हैं। ये नौजवानों के विवशता की पराकाष्ठा है। 

जदयू ने दिया जवाब-अभी भी सरकारी नौकरी का है आकर्षण

विपक्ष के इस बयान का जवाब देते हुए जदयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि आजकल गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर हैं, लेकिन सरकारी नौकरियों (पारंपरिक) के प्रति आकर्षण अभी भी मजबूत है। इसलिए हमें बड़ी संख्या में आवेदन मिला है। ग्रुप-डी के लिए आवेदन करने वाले युवाओं को गैर-पारंपरिक नौकरियों का भी पता लगाना चाहिए।

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