सर्वदलीय बैठक में महागठबंधन एक राय नहीं, तेजस्‍वी को बिहार में लॉकडाउन मंजूर,माले का मत- यह समस्‍या का समाधान नहीं

आज राज्‍यपाल की अध्‍यक्षता में कोविड महामारी पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने 30 सुझाव दिए। कहा- जनता को पूर्व सूचना देकर लॉकडाउन लगा सकते । वहीं महागठबंधन में शामिल लेफ्ट पार्टियों ने लॉकडाउन को कड़वा अनुभव बताकर असहमति जताई।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 07:46 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 08:03 PM (IST)
सर्वदलीय बैठक में महागठबंधन एक राय नहीं, तेजस्‍वी को बिहार में लॉकडाउन मंजूर,माले का मत- यह समस्‍या का समाधान नहीं
नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव की तस्‍वीर ।

पटना,राज्य ब्यूरो।   विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कोरोना से कारगर लड़ाई के लिए सरकार तुरंत स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करे। इसमें महामारी के विशेषज्ञों के अलावा राजनेताओं को भी रखा जाए। वे शनिवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में सुझाव दे रहे थे। उनके सुझावों की संख्या 30 थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मेदांता जयप्रभा सहित अन्य बड़े निजी अस्पतालों का अस्थायी तौर पर अधिग्रहण करे। सरकार वीकेंड कर्फ्यू लगाए। लॉकडाउन का इरादा है तो इसकी पूर्व सूचना आम नागरिकों को दे। उन्होंने राजद कार्यालय और अपने सरकारी आवास को कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए देने की पेशकश की। वहीं महागठबंधल में शामिल भाकपा-माले और माकपा ने लॉकडाउन का जोरदार विरोध किया।

बता दें कि नीतीश सरकार ने कोविड महामारी पर कुछ कड़े फैसले लेने के संकेत दिए थे। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों की राय जानने के लिए राज्‍यपाल फागू चौहान की अध्‍यक्षता में बैठक बुलाई  गई थी

तेजस्‍वी के सुझाव

उन्होंने आक्सीजन और जरूरी दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए सप्लाई चेन दुरुस्त करने, मोबाइल टीकाकरण, टीका और जांच की पृथक व्यवस्था, जल्द से जल्द रिपोर्ट देने और महामारी से जुड़े आंकड़ों को पारदर्शी बनाने की सलाह दी। तेजस्वी ने कहा कि जांच के साथ ही इलाज की मुकम्मल व्यवस्था हो। इलाज में स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों की मदद ली जाए। स्थानीय मुखिया को इस बात की जानकारी हो कि पंचायत के कौन कौन लोग संक्रमित हैं और उनके इलाज की क्या व्यवस्था की गई है। कोविड वार्ड के मरीज किस हाल में हैं, उसे सीसीटीवी या मोबाइल से देखने की सुविधा स्वजनों को मिले। होम क्वारंटाइन मरीजों का हाल जानने के लिए सरकार जीपीएस ट्रैकर तकनीक का इस्तेमाल करे। उनके इलाज के लिए विशेष सेल बने। उन्होंने कहा कि प्रमंडल स्तर पर कोरोना डेडिकेटेड अस्पतालों का निर्माण किया जाए। सरकार गारंटी करे कि बाहर से आने वाला कोई भी आदमी बिना निगेटिव होने की रिपोर्ट लिए घर न जाए।

गरीबों को मिले दस हजार रुपये

विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार सभी गरीब परिवारों और मजदूरों को रोजाना सौ रुपये की दर से अगले सौ दिनों के लिए 10 हजार रुपया दे। बाहर से आने वाले श्रमिकों को हर महीने तीन हजार रुपया दे। राशन कार्ड धारकों को छह महीने तक मुफ्त राशन दे और हरेक प्रखंड में चार-पांच कम्युनिटी किचन का इंतजाम करे। उन्होंने कहा कि कम काम वाले सरकारी विभागों के सक्षम आइएएस-आइपीएस अधिकारियों को कोरोना मैनेजमेंट में लगाया जाए। कोरोना बजट में धांधली को रोकने के लिए विशेष सेल का गठन किया जाए। अस्पतालों में बेड की कुल संख्या, उपलब्धता और बुकिंग की ऑनलाइन व्यवस्था का डेटाबेस तैयार किया जाए। फ्रंटलाइन वर्कर्स की मौत की हालत में उनके स्वजनों को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपया मुआवजा दे।

लॉकडाउन समस्या का समाधान नहीं : भाकपा

उधर, भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि कोरोना महामारी से लोगों को बचाने हेतु सरकार को समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करे। सरकार के स्तर से जांच में तेजी और चिकित्सा का पूरा इंतजाम का कार्य सुनिश्चित किया जाए। लॉकडाउन समस्या का समाधान नहीं है। सभी शिक्षण संस्थान और सरकारी एवं निजी दफ्तरों को खुला रखा जाए। क्वांरटाइन सेंटर और युद्ध स्तर पर चिकित्सा सुविधा बढ़ाया जा जाए। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा एवं उन्हें प्रोत्साहन राशि दिया जाए।

भाकपा नेता रामनरेश पाण्डेय ने सुझाव दिया कि कोरोना महामारी की सर्वाधिक मार गरीबों और मजदूरों पर पड़ रही है। सबके लिए आजीविका और रोजगार का तत्काल प्रबंध किया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि कोरोना रोकने के नाम पर पिछली बार किया गया लॉकडाउन का अनुभव बहुत ही कड़वा रहा है। वह अपने आप में एक आपदा साबित हुआ। इसलिए लॉकडाउन लगाने की बजाए सामाजिक जागरूकता एवं लोगों को सावधान करने के प्रति जोर दिया जाना चाहिए। राज्य सरकार पंचायत चुनाव को फिलहाल टाल दे और पूरा ध्यान कोरोना महामारी से निपटने में लगाए।

सभी निजी अस्पतालों में संक्रमितों का हो मुफ्त इलाज : माकपा

माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने सर्वदलीय बैठक में राज्यपाल को सुझाव दिया कि राज्य के सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन, एंबुलेंस और दवाओं को उपलब्धता सुनिश्चित करायी जाए। सभी निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम को सरकार तत्काल अपने अधीन ले और कोरोना संक्रमितों का इलाज का पूरा खर्च उठाए। लॉकडाउन कोरोना महामारी का समाधान नहीं है। इससे गरीबों पर सर्वाधिक मार पड़ती है।

अवधेश कुमार ने यह भी मसला उठाया कि अभी आरटीपीसीआर की जांच रिपोर्ट काफी देर लग रही है। 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने की व्यवस्था की जाए और टेस्टिंग की संख्या बढ़ायी जाए ताकि संक्रमितों का सही समय पर इलाज हो सके और संक्रमण का फैलाव को रोका जा सके। उन्होंने सुझावदिया कि अन्य राज्यों से आ रहे मजदूरों के ससम्मान घर पहुंचाने की गारंटी की जाए और घर पहुुंचाने से पहले उसकी जांच करायी जाए। अभी इस मामले में लापरवाही दिख रही है। जो श्रमिक पॉजिटिव पाए जाएं, उन्हें  क्वारंटीन सेंटर पर रखा जाए और  चिकित्सा समेत सभी सुविधाएं दी जाए।  रोजगार सृजन की गारंटी की जाए। मनरेगा में काम सृजित किया जाए और उसी तर्ज पर शहरों में भी काम की व्यवस्था हो। बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप है। बच्चों के लिए न्यूनतम पढ़ाई की व्यवस्था की जाए. सभी बच्चों को प्राथमिकता के साथ कोविड का टीका दिया जाए।

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