अब आइजीआइएमएस में नहीं जलेगा मेडिकल वेस्ट, बनेगा जैविक कचरा

पटना। मेडिकल कचरा प्लांट के व्यवस्थित व कार्य करने से मेडिकल प्रदूषण नहीं होगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 01:32 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 01:32 AM (IST)
अब आइजीआइएमएस में नहीं जलेगा मेडिकल वेस्ट, बनेगा जैविक कचरा
अब आइजीआइएमएस में नहीं जलेगा मेडिकल वेस्ट, बनेगा जैविक कचरा

पटना। मेडिकल कचरा प्लांट के व्यवस्थित व कार्य करने से मेडिकल प्रदूषण नहीं होगा। इस कचरे को हाई तकनीक से उपचारित कर जलाने से किसी प्रकार के प्रदूषण को कम किया जा सकता है। ये बातें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने रामचक बैरिया में बने मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट के शुभारंभ के अवसर पर कहीं। अभी तक मेडिकल कचरे का निस्तारण इंदिरा गांधी इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में हो रहा था। अब आइजीआइएमएस में मेडिकल कचरा नहीं जलेगा। इसका निस्तारण रामचक बैरिया में होगा।

मंत्री ने कहा कि आइजीआइएमएस के साथ-साथ पटना के अन्य मेडिकल संस्थानों, आरा, बक्सर, कैमूर, रोहतास समेत कई जिलों का जैविक कचरा यहां जलेगा। इससे उन स्थानों पर प्रदूषण कम होगा। मंत्री ने कहा कि कचरे का ट्रीटमेंट कर जैविक कचरा बनाया जाएगा। इसका खिलौना तथा अन्य फैक्ट्री में इस्तेमाल किया जा सकता है। मेडिकल कचरे की प्रोसेसिंग में गैस का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे कम प्रदूषण फैलेगा। उन्होंने बताया कि बिहार समेत पूर्वोत्तर राज्य में इस तरह की उच्च गुणवत्ता एवं तकनीक वाला यह पहला प्लांट पटना में आरंभ हो गया है।

इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों ने पौधारोपण किया। मौके पर राज्य प्रदूषण बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. अशोक घोष, निदेशक डॉ. एनआर विश्वास, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल, प्राचार्य डॉ. रंजीत गुहा, अधीक्षण अभियंता शैलेंद्र कुमार चौधरी, निर्माण एजेंसी मेसर्स संगम मेडिसर्स प्राइवेट लिमिटेड प्रयागराज के एमडी हरिओम शरण द्विवेदी भी मौजूद रहे।

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: 250 किलो कचरा प्रति घंटा ट्रीट कर बनेगा जैविक कचरा :

निदेशक डॉ. एनआर विश्वास ने बताया कि भारत सरकार की वित्तीय सहायता से कॉमन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना 2006 में की गई है। वर्तमान में रामचक बैरिया का यह प्लांट पीपीपी मोड में है। इसमें हर घंटे 250 किलोग्राम तक मेडिकल कचरे को उपचारित कर जैविक कचरा बनाया जाएगा। इसमें ऑटोक्लेव उपकरण लगा है। इसकी क्षमता 200 लीटर है। एजेंसी के एमडी हरिओम शरण द्विवेदी ने बताया कि इसका मॉनीटरिग सिस्टम पूरी तरह ऑनलाइन है। कचरा ढोने के लिए जीपीएसयुक्त वाहनों का उपयोग किया जाएगा। इससे यह जानकारी हो सकेगी कि कहां से कचरा उठा और कहां नहीं उठा।

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