जीवन के खालीपन को दूर करता है प्रेम
जीवन की भागदौड़ में जरूरतों को पूरा करने में समय तेजी से निकल जाता है।
जीवन की भागदौड़ में जरूरतों को पूरा करने में समय तेजी से निकल जाता है। जिसमें पति-पत्िन एवं अन्य रिश्तों को समझने एवं एक दूसरे के प्रति संवेदना व प्रेम के लिए जगह नहीं होती। जीवन के मोड़ पर एक समय ऐसा आता है जब इंसान को लगता है कि जीवन में रिश्तों की मजबूती बहुत जरूरी है। फिर लोग अपना पूरा समय बाकी के जिदंगी को गुजारने में लगा देते हैं। रिश्तों के ताने-बाने पर आधारित कुछ ऐसी ही कहानी शुक्रवार को प्रेमचंद रंगशाला के प्रेक्षागृह में देखने को मिली। मौका था निर्माण कला मंच की ओर से रंगजलसा नाट्योत्सव के तहत डिवाइन सोशल डेवलपमेंट पटना के बैनर तले विभा रानी लिखित एवं स्वरम उपाध्याय के निर्देशन में 'आओ तनिक प्रेम करें' की प्रस्तुति का।
कलाकारों ने जीवन के जद्दोजहद में फंसे पति-पत्िन के बहाने प्रेम की वास्तविकता से दर्शकों का परिचय कराया। आमे गुप्ता और सपन की कहानी दर्शकों को खूब पंसद आई। उम्र के साठवें पड़ाव पर आमे को अचानक लगता है कि उसने जीवन भर प्रेम किया ही नहीं। जीवन में संवेदना के साथ उदासीनता और कर्तव्य बोध भी है। एक ओर मां की ममता तो दूसरे ओर पिता का आहत अहम भी है। इन सभी में प्रेम के लिए कोई जगह नहीं होती। पति-पत्िन दोनों खालीपन की ओर जी रहा है। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दिखाया कि वे कुछ भी कर लें पर प्रेम के बिना सब अधूरा। ऐसे में फिर से नई जीवन की शुरुआत होती है। मंच पर विवेक कुमार, रूबी खातून आदि का अभिनय दर्शकों का पंसद आया।