पंचकोस यात्रा के अंतिम दिन भगवान राम खाएंगे लिट्टी-चोखा, बक्‍सर के घर-घर में बनेगा यह खास व्‍यंजन

पंचकोस यात्रा के समापन पर बक्‍सर में लगेगा अनूठा मेला। हर घर बनाया जाएगा भोजपुरी पकवान। सोंधी खुशबू बिखेरने को बाजार में लाए गए उपले। सुहावने मौसम में दूर-दूर से पहुंच रहे लोग। किला मैदान में श्रद्धालुओं ने जमाया डेरा

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 05:07 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 05:07 PM (IST)
पंचकोस यात्रा के अंतिम दिन भगवान राम खाएंगे लिट्टी-चोखा, बक्‍सर के घर-घर में बनेगा यह खास व्‍यंजन
पंचकोस यात्रा मेले में जलेबी खरीदतीं महिलाएं। जागरण

बक्सर, जागरण संवाददाता। यदि आप विश्वामित्र नगर की सुप्रसिद्ध लिट्टी-चोखा मेला में शामिल होना चाहते हैं तो चरित्रवन में रविवार को पहुंचना नहीं भूलें। पांच दिवसीय पंचकोसी यात्रा रविवार को चरित्रवन पहुंचेगी और इस मौके पर श्रद्धालु परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम को लिट्टी-चोखा का भोग लगा उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे। स्थानीय लोग इसे लिट्टी-चोखा महोत्सव के रूप में भी जानते हैं। महोत्सव में शामिल होने के लिए बुधवार की देर शाम से ही शाहाबाद के अन्य जिलों व उत्तर प्रदेश के भोजुपरी भाषी क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का बक्सर आना प्रारंभ हो गया। दूसरी ओर पूरे दिन कमजोर धूप खिली होने से मौसम का मिजाज भी गुलाबी हो गया है और लोग मानते भी हैं की लिट्टी-चोखा की तासीर गर्म होती है।

पंचकोस यात्रा के हर चरण में लगता है अलग-अलग भोग

हर साल अगहन शुक्लपक्ष की नवमी तिथि में लगने वाला लिट्टी-चोखा मेला कई मामलों में खास है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जब विश्वामित्र मुनि‍ के साथ बक्सर आए थे तब यज्ञ में विघ्‍न डालने पर उन्होंने ताड़का और सुबाहु का वध किया था। इसके बाद सिद्धाश्रम में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम में वे उनसे आशीर्वाद लेने गए थे। जिन पांच स्थानों पर वे गए और रात्रि विश्राम के दौरान ऋषियों ने उन्हें पकवान खाने को दिया, उन्‍हीं पकवानों को पंचकोस यात्रा के दौरान श्रद्धालु भगवान का भोग लगा प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इनमें पहला पड़ाव अहिरौली में पुआ, दूसरा पड़ाव नदांव में खिचड़ी, तीसरे पड़ाव भभुअर में चूड़ा-दही, चौथे पड़ाव नुआंव में सत्तू-मूली और अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लिट्टी-चोखा का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

रविवार सुबह यात्रा पहुंचेगी बक्‍सर

शनिवार को साधु-संतों ने यात्रा के चौथे दिन उन्नाव में डेरा डाला और रविवार को यात्रा अल सुबह बक्सर पहुंचेगी। इस दिन यहां घर-घर लिट्टी चोखा बनता है और सड़क से लेकर मैदान तक श्रद्धालु उपले पर लिट्टी सेंकते नजर आते हैं। इस बार भी एक दिन पहले से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। चोखा के लिए आलू, बैगन, धनिया, मिर्चा, नमक आदि तथा लिट्टी के लिए आटा, सत्तू आदि की दुकानें जगह-जगह लग गईं हैं।

लगभग एक करोड़ रुपये के बिकेंगे उपले

लिट्टी-चोखा महोत्‍सव के लिये मेला क्षेत्र में ही दुकानदारों ने उपले (गोइठा) भी उपलब्ध कर रखे हैं। आंकड़े पर गौर करें तो एक-एक कारोबारियों ने लगभग 80 हजार से डेढ़ लाख उपले मंगवाए हैं। सिर्फ किला मैदान में ही डेढ़-दो दर्जन दुकानें लगी हुई हैं। जबकि, चरित्रवन के अन्य क्षेत्र से भी इसकी बिक्री की जा रही है। कारोबारी बलि चौधरी, केसन चौधरी, मल्लाह टोली की गिरजा देवी आदि का कहना है कि लगभग प्रत्येक साल 40 से 50 लाख अ उपले की आवक की जाती थी। लेकिन, हरेक साल मेला में भीड़ बढ़ते ही जा रही है। पिछले दो साल से कोरोना खाए जा रहा था इस बार आस बंधी है। इस कारण इस बार गोइठा की आवक दुगनी यानी लगभग एक करोड़ रुपये तक हो गई है। भाव को लेकर बताया कि खुदरा में 10 रुपये में 5 और बड़े साइज में दो उपले बेचे जा रहे हैं।

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