तेजस्वी बोले- बिहार BJP अध्यक्ष को आरक्षण के क,ख,ग की समझ नहीं, संजय जायसवाल ने याद दिलाया नरसंहार

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गुरुवार के बयान में बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल की चुटकी ली है। राज्य बीजेपी अध्यक्ष ने भी बिहार में हुए नरसंहार को याद दिलाकर राजद नेता पर पलटवार कर दिया।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 01:14 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 01:14 PM (IST)
तेजस्वी बोले- बिहार BJP अध्यक्ष को आरक्षण के क,ख,ग की समझ नहीं, संजय जायसवाल ने याद दिलाया नरसंहार
राजद नेता तेजस्वी यादव और बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गुरुवार के बयान में बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल की चुटकी ली है। उन्होंने कहा है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की आरक्षण के प्रविधानों व उसकी अवधारणा की बे-सिर पैर की समझ पर हंसी भी आती है। कहा है कि बात मेधावी ओबीसी छात्रों को जानबूझकर मात्र 27 फीसद आरक्षण में ही सीमित कर देने की साजिश की हो रही थी तो जायसवाल को लगा कि ओबीसी छात्रों के अच्छे अंक आने से किसी को तकलीफ है। 

तेजस्वी ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को यह भी ज्ञात नहीं कि बीपीएससी की विगत दो-तीन परीक्षाओं में आरक्षित वर्गों के छात्र ही सर्वाधिक अंक ला रहे हैं। कहा, संजय जायसवाल ने स्वयं ही सिद्ध कर दिया कि उन्हेंं आरक्षण लागू करने की  क,ख,ग भर की भी समझ नहीं है। यह भी पता नहीं कि नियम यह है कि जनरल कोटा की सभी 50 फीसद सीट सभी छात्रों के अंकों के आधार पर भरनी होती है। अगर किसी एससी-एसटी या ओबीसी वर्गों के छात्र के अंक पहले 50 फीसद सीटों के लिए मेरिट लिस्ट में आते हों तो मोबिलिटी के आधार पर आरक्षित वर्ग का छात्र या छात्रा सामान्य वर्ग की 50 फीसद सीटों में स्थान पाएगा, ना कि अपने आरक्षित वर्ग की सीटों में।

राजद शासन के कुकर्म आज तक आ रहे सामने : जायसवाल

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने गुरुवार को बयान जारी कर राजद पर तंज कसा है। उन्होंने राजद सरकार में हुए नरसंहारों की याद दिलाते हुए कहा है कि 22 वर्ष पहले 34 व्यक्तियों की हत्या होती है और उच्च न्यायालय में निर्णय आता है कि इनकी हत्या का दोष पूर्व में घोषित दोषियों पर नहीं है। मैं इस पर विस्तृत चर्चा कर रहा था कि आखिर न्यायालय को इस तरह का आदेश क्यों देना पड़ा। उन्होंने कहा है कि 1990 से 2005 के राजद शासन के कुकर्म आज भी हमारे सामने आकर खड़े हो जाते हैं। जितने भी नरसंहार राजद शासन में हुए, उसे सरकार द्वारा प्रायोजित नरसंहार कहा जाए तो गलत नहीं होगा। नरसंहार चाहे अगड़़े का हो, पिछड़े का हो या दलित का हो सभी में पुलिस जानबूझकर केस को इतना कमजोर कर देती थी कि किसी भी अपराधी को सजा नहीं हो सके। अगर नरसंहार होता है और इंसाफ मिल जाता तो वर्ग संघर्ष होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। लेकिन 15 साल तक राजद सरकार की मंशा रही कि नरसंहार हो और किसी को न्याय नहीं मिले जिससे वे राजनीतिक रोटियां सेंकते रहें।

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