कभी मुलायम के लिए रहे कठोर, अब यूपी में अखिलेश यादव के लिए बैटल फील्‍ड सजा रहे लालू प्रसाद

उत्‍तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारी में सभी दल जुट गए हैं। इस बीच स्‍वस्‍थ होने के बाद लालू प्रसाद यादव भी सक्रिय हो गए हैं। वे पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के पक्ष में बड़ा फलक तैयार करने में लग गए हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 07:14 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 07:35 PM (IST)
कभी मुलायम के लिए रहे कठोर, अब यूपी में अखिलेश यादव के लिए बैटल फील्‍ड सजा रहे लालू प्रसाद
मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे लालू प्रसाद, साथ में अखिलेश यादव। फाइल फोटो

अरविंद शर्मा, पटना।  कभी मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के बीच कट्टर अदावत थी, मगर अब रिश्तेदारी हावी है। यूपी का विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) नजदीक आ रहा तो लालू रिश्ते का फर्ज निभाने में जुट गए हैंं। जैसा पिछले बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव के लिए निभाया था। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) ने 2020 में राजद को पूरा समर्थन दिया था। अब लालू की बारी है तो अखिलेश के लिए दो स्तरों पर प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। मुद्दे जुटाए जा रहे हैं और माहौल भी बनाया जा रहा है। 

शरद पवार के बाद समाजवादी नेताओं से हुई लालू की मुलाकात

जातिगत जनगणना के मुद्दे पर हाल के दिनों में राजद की सक्रियता और हफ्ते भर में राकांपा प्रमुख शरद पवार के अलावा वरिष्ठ समाजवादी नेताओं से लालू की मुलाकात कुछ इसी ओर संकेत करती है। छोटे-छोटे क्षत्रपों को राजी करके यूपी में अखिलेश के लिए बड़ा फलक बनाया जा रहा है। लालू ने इसकी शुरुआत शरद पवार के उस ऐलान के दो दिन बाद की, जिसमें कहा गया था कि राकांपा यूपी में चुनाव लड़ने जा रही है। राकांपा की घोषणा के बाद 29 जुलाई को लालू ने दिल्ली में शरद पवार से मुलाकात कर उन्हें सपा के साथ आने का फायदा समझाया और गठबंधन का फार्मूला दिया। 

बसपा को भाव नहीं देकर नए विकल्‍प की तलाश  

फिलहाल लालू की प्राथमिकता में मायावती (BSP Supremo Mayawati) नहीं हैं, क्योंकि बसपा ने बिहार में राजद का साथ नहीं दिया था। लालू के जेल में रहने के दौरान विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारकर मायावती ने तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। लिहाजा, बसपा को भाव न देकर लालू यूपी मेंं विकल्प की तलाश में हैं। नजर चिराग पासवान पर है, जो यूपी में मायावती से होने वाले नुकसान की एक हद तक भरपाई कर सकते हैं। लोजपा में टूट के बाद से ही राजद चिराग की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है। महागठबंधन में बुलाने के लिए माहौल बनाया जा रहा है। लालू द्वारा चिराग की तारीफ किए जाने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। एक दिन पहले समाजवादी नेता शरद यादव से मुलाकात के बाद लालू ने चिराग को उभरता हुआ युवा नेता बताकर तेजस्वी के साथ आने की संभावना जताई। यूपी चुनाव से जोड़कर इसका भी भावार्थ निकाला जा रहा है। 

कांग्रेस को साथ लेने का जारी है प्रयास

राजद यूपी में कांग्रेस का साथ छोड़ने के पक्ष में नहीं है। तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस के बिना भाजपा का विकल्प बनने की बात सोची भी नहीं जा सकती है। लालू का प्रयास है कि कांग्रेस-सपा यूपी में पिछली बार की तरह साथ-साथ चुनाव लड़ें। उत्तर प्रदेश के राजद अध्यक्ष अशोक सिंह के पास इसके लिए तर्क भी है। वह कहते हैैं कि 2017 और 2022 के हालात में फर्क है। अबकी साथ आ गए तो चुनाव परिणाम पक्ष में आएगा। 

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