सिमरिया में गंगा तट पर इस वर्ष भी नहीं लगेगा कल्‍पवास मेला, कोरोना के मद्देनजर प्रशासन ने लगाई रोक

मिथिला की पवित्र स्थली व मोक्षदायिनी पतित पावनी गंगा नदी के सिमरिया तट पर कार्तिक मास में लगने वाला कल्पवास मेला इस वर्ष भी नहीं लगेगा। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर जिला प्रशासन ने इस वर्ष भी कल्पवास मेले के आयोजन पर रोक लगा दिया है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 05:47 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 05:47 PM (IST)
सिमरिया में गंगा तट पर इस वर्ष भी नहीं लगेगा कल्‍पवास मेला, कोरोना के मद्देनजर प्रशासन ने लगाई रोक
पिछले वर्ष प्रशासन की ओर से लगाया गया बैनर। फाइल फोटो

बीहट (बेगूसराय), संवाद सूत्र। मिथिला की पवित्र स्थली व मोक्षदायिनी पतित पावनी गंगा नदी के सिमरिया तट पर कार्तिक मास में लगने वाला कल्पवास मेला इस वर्ष भी नहीं लगेगा। कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Covid) की आशंका के मद्देनजर जिला प्रशासन ने इस वर्ष भी कल्पवास मेले के आयोजन पर रोक लगा दिया है। इसको ले जगह-जगह पर सिमरिया कल्पवास मेला बंद होने संबंधी बैनर-पोस्टर भी लगाए गए हैं। ताकि किसी भी तरह के भ्रामक प्रचार, साधु संतों व आम लोगों में ना हो। लोगों की भीड़ कल्पवास मेला को लेकर ना लगे। हालांकि प्रशासन के इस निर्णय से मेले से जुड़े लोगों को काफी मायूसी हुई है। 

जगह-जगह लगाया गया बैनर-पाेस्‍टर 

कल्पवास मेला स्थगित रहने से संबंधित बैनर जीरोमाइल दिनकर गोलंबर, सिमरिया समेत सभी प्रमुख जगहों पर लगा दिए गए हैं। डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि सिमरिया में कल्पवास मेला 18 अक्टूबर से 19 नवंबर तक लगना है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर एवं संभावित तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए मेले को स्थगित कर दिया गया है। मालूम हो कि कोरोना महामारी के कारण 2020 में भी कल्‍पवास मेला नहीं लगा था। इस कारण साधु-संतों के साथ ही वहां के दुकानदारों को भी काफी निराशा हुई थी। उन्‍हें इस वर्ष की उम्‍मीद थी। लेकिन इस बार भी प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। 

मिथिलांचल के लोगों की है असीम आस्‍था 

बता दें कि कल्‍पवास मेला में मिथिलांचल समेत नेपाल से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। सवा महीने तक गंगा तट पर श्रद्धालु रहते हैं। यहां के प्रति लोगों में काफी आस्‍था है। कल्‍पवासा मेला में लाखों रुपये का कारोबार होता रहा है। फूल-माला से  लेकर होटल, शृंगार, खाने के सामान आदि की खूब बिक्री होती थी। लेकिन अब सब की उम्‍मीदों पर पानी फिर गया है। लोगों का कहना है कि यहां से उनकी आजीविका जुड़ी थी। अब रोजी-रोटी का संकट हो गया है।  

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