जीतन राम मांझी के नए राग से बढ़ी बिहार सरकार की परेशानी, PM नरेंद्र मोदी को दिया धन्यवाद
Bihar Politics बिहार की एनडीए सरकार में शामिल हम के संयोजक जीतन राम मांझी ने जाति आधारित जनगणना पर अपने रुख में बदलाव किया है। उनकी नई मांग से राज्य की नीतीश सरकार पर दबाव बढ़ेगा। मांझी ने प्रधानमंत्री मोदी की इसी मसले पर तारीफ की है।
पटना, आनलाइन डेस्क। Bihar Politics: जाति आधारित जनगणना (Caste Based Population Census) का मसला फिलहाल बिहार की राजनीति का सबसे हाट टापिक बन गया है। सरकार और विपक्ष में बैठे तमाम दल इस मसले पर हर रोज कुछ न कुछ जरूर बोल रहे हैं। राज्य में भाजपा (BJP) को छोड़ कर अन्य सभी प्रमुख पार्टियां इसी वर्ष होने वाली जनगणना में जाति का कालम शामिल करने की मांग पर अड़ी हुई हैं, लेकिन हिंदुस्तानी अवामा मोर्चा (Hindustani Awam Morcha) ने अपने रुख में थोड़ा बदलाव कर लिया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के संयोजक जीतन राम मांझी (Jeetan Ram Manjhi) ने कहा है कि राज्य सरकार को अब खुद ही जाति आधारित जनगणना शुरू करानी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया धन्यवाद
मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को ओबीसी बिल (OBC Bill) संसद में पास कराने के लिए धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा है कि अब ओबीसी के मसले पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को ही काफी शक्ति दे दी है। इसलिए बिहार की सरकार को अब खुद ही इस मसले पर आगे बढ़ना चाहिए। इस मसले को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना छोड़ देना चाहिए।
बिहार के मुख्यमंत्री भी कर रहे हैं मांग
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू भी जाति आधारित जनगणना के लिए केंद्र सरकार से मांग कर रही है। इस मसले पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को करीब एक हफ्ते पत्र लिखकर मुलाकात के लिए समय भी मांगा है। उनके अलावा बिहार में विपक्ष के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मसले पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उनका भी कहना है कि अगर केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना पर तैयार नहीं होती है तो राज्य सरकार को कर्नाटक की तर्ज पर खुद ही इस दिशा में कदम आगे बढ़ाना चाहिए।
राज्य के संसाधनों पर बढ़ेगा दबाव
अगर राज्य सरकार को जाति आधारित जनगणना खुद के खर्चे पर करानी पड़ती है तो इससे खजाने पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा। कोरोना काल में सरकार का आर्थिक संकट पहले से ही बढ़ा हुआ है। ऐसी हालत में सरकार के लिए अतिरिक्त धन जुटाना और संक्रमण के खतरे के बीच समांतरण जनगणना कराना आसान नहीं होगा।