अरवल में कुशवाहा के सामने भिड़े जदयू कार्यकर्ता, जमकर चले लात-घूसे, पुलिस ने किया बीचबचाव
अरवल के कुर्था प्रखंड मुख्यालय में शहीद जगदेव प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर रहे जदयू संसदीय दल के नेता उपेंद्र कुशवाहा के सामने ही कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। उनके बीच जमकर मारपीट हो गई। सुरक्षा बलों ने बीच-बचाव किया।
कुर्था (अरवल), संवाद सूत्र। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के स्वागत के दौरान अरवल में जदयू के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। उनके बीच जमकर लात-घूसे चले। पुलिस को बीच-बचाव करनी पड़ी। बताया जाता है कि अरवल के कुर्था प्रखंड मुख्यालय में शहीद जगदेव प्रसाद की प्रतिमा पर उपेंद्र कुशवाहा माल्यार्पण करने जा रहे थे। इसी दौरान जदयू कार्यकर्ता आपस में ही उलझ गए। इसमें जदयू जिलाध्यक्ष और दूसरे गुट का विवाद को कारण बताया जा रहा है।
शहीद जगदेव प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण के समय ही विवाद
बताया जाता है कि जैसे ही कुशवाहा प्रखंड मुख्यालय स्थित शहीद जगदेव स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर परिसर से बाहर निकले कि उनके सामने ही विवाद शुरू हो गया। जिलाध्यक्ष मंजू देवी के समर्थक और दूसरे गुट के लोग आपस में भिड़ गए । देखते-देखते ही समर्थक एक दूसरे के साथ मारपीट करने लगे। साथ चल रहे एस्कॉर्ट के जवानों के हस्तक्षेप से दोनों गुट अलग हुए। मिली जानकारी के अनुसार जिलाध्यक्ष के कार्यक्रम के दौरान पिछले दिनेां अभद्रता की गई थी। इस बात को लेकर जिलाध्यक्ष के प्रति दूसरे गुट के लोग नाराजगी जता रहे थे। यह बात जिलाध्यक्ष के समर्थकों को नगवार गुजरी। फिर तो देखते-देखते मारपीट शुरू हो गई। बताते चलें कि कुशवाहा बिहार यात्रा के दौरान प्रखंड मुख्यालय पहुंचे थे।
इधर, बिहार यात्रा के क्रम में पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा ने करपी में जनसंवाद कार्यक्रम में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। विकास कार्यों की मानिटरिंग कार्यकर्ता करते रहें। यदि कोई पात्र है तो उसे योजना का लाभ दिलाने में सहयोग करें। पार्टी कार्यकर्ता लोगों के घर पहुंचकर समस्या का समाधान करें। खाद की कालाबाजारी की शिकायत मिल रही है। ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बेबस हो विवाद देखते रहे कुशवाहा
मालूम हो कि उपेंद्र कुशवाहा राज्यभर में यात्रा कर समर्थकों को एकजुट करने का अभियान चला रहे हैं। लेकिन उसी दौरान जिस तरह से यहां विवाद हुआ यह देखकर वे भी भौंचक रह गए। अपने सामने वे बेबस हो देखते रहे। यदि सुरक्षा बल के जवानों ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो शायद स्थिति बिगड़ भी सकती थी। अब देखना है कि इस गुटबाजी से पार्टी किस तरह निजात पाती है। पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि इस खेमेबाजी को दूर करना बहुत जरूरी है। क्योंकि इससे पार्टी को ही नुकसान होगा।