तेजस्वी यादव पर जदयू का बड़ा हमला, पार्टी और संपत्ति ही नहीं लालू के घोटालों की भी जिम्मेदारी लें
Bihar Politics बिहार में जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला बोला है। जदयू नेता ने कहा कि पिता के घोटाले जनता के साथ किए गए छल और बिहार को गर्त में धकेलने के प्रयासों का वारिस बनने में उन्हें शर्म क्यों आती है?
पटना, जागरण टीम। Bihar Politics: बिहार में जदयू के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी अपने पिता लालू यादव की संपत्ति का वारिस बन सकते हैं, उनकी राजनीतिक विरासत का वारिस बन सकते हैं तो उनके कुकुर्मों का वारिस बनने में उन्हें क्या दिक्कत है। जदयू नेता ने कहा कि पिता के घोटाले, जनता के साथ किए गए छल और बिहार को गर्त में धकेलने के प्रयासों का वारिस बनने में उन्हें शर्म क्यों आती है? उन्होंने कहा है कि लालू प्रसाद का पूरा ध्यान परिवार के विकास पर रहा, जबकि नीतीश कुमार न्याय के साथ विकास के सिद्धांत पर चल रहे हैं।
चरवाहा विद्यालय खोलने के लिए राजद सुप्रीमो को कोसा
जदयू नेता ने बिहार में चरवाहा विद्यालय खोलने के लिए राजद सुप्रीमो को कोसा। उन्होंने कहा कि इन स्कूलों में कुव्यवस्था पर नीति आयोग ने टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने में लालू का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने कहा कि राजद के 15 साल के कार्यकाल में केवल 30 हजार शिक्षक भर्ती हुए, जबकि नीतीश सरकार में अब तक चार लाख से अधिक शिक्षकों की बहाली हो चुकी है।
नीतीश के शासन संभालने के बाद सुधरी बिहार की स्थिति
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव विकास सूचकांक-1991 में लक्ष्य तय किया। भारत में नई आर्थिक नीति लागू होने के बाद मानव विकास सूचकांक के लिए पहली योजना मिलेनियम डेवेलपमेंट गोल सन् 2000 में आया। 2005 में मानव विकास सूचकांक में बिहार देश में सबसे अंतिम पायदान पर था। नीतीश कुमार के शासन संभालते ही स्थिति सुधरी। कुमार ने कहा कि वर्ष 2010 में मानव विकास सूचकांक की गणना विधि में बदलाव किया गया। मानव विकास सूचकांक के नए लक्ष्य निर्धारित किए गए।
शिक्षा, स्वास्थ्य और समानता पर है सरकार का फोकस
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के लगातार प्रयासों से महाराष्ट्र के बाद दूसरा राज्य बिहार बना, जिसने मानव विकास मिशन स्थापित किया। इस मिशन में न केवल मानव विकास सूचकांक के अंतरराष्ट्रीय मानक का ध्यान रखा, बल्कि बिहार के सामाजिक हालत को देखते हुए तीन मानक यथा शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ आय में समानता को तय किया। सरकार इसी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रही है।