शाद की नजमों में धड़कता है मुल्क का दिल

हिंदू हो कि मुस्लिम हो गुलजार हैं दोनों से दामान ए वतन अपना..

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Jan 2020 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 07 Jan 2020 06:00 AM (IST)
शाद की नजमों में धड़कता है मुल्क का दिल
शाद की नजमों में धड़कता है मुल्क का दिल

पटना सिटी। 'एक मां के बेटे हैं, हिदू हो कि मुस्लिम हों, गुलजार हैं दोनों से दामन ए वतन अपना..', 'मैं वो मोती तेरे दामन में हूं ऐ खाके बिहार, आज तक दे न सका एक भी कीमत मेरी..', 'खामोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है, तड़प ऐ दिल तड़पने से जरा तस्कीन होती है..', 'अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज आया, जिदगी छोड़ दे पीछा मेरा मैं बाज आया..', 'ढूंढोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने को नहीं नायाब हैं हम, जो याद न आए भूल के फिर से हम नफसों वो ख्वाब हैं हम..', 'तमन्नाओं में उलझाया गया हूं, खिलौने दे के बहलाया गया हूं, लहद में क्यों न जाऊं मुंह छुपाये, भरी महफिल से उठवाया गया हूं..'। ऐसी शायरी से शाद अजीमाबादी का दीवान भरा है।

मोहब्बत, देशभक्ति, मिट्टी से प्रेम, भाईचारा, इंसानियत की बातें हर एक शेर से सरेआम करने वाले उर्दू साहित्य के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शायर सैयद अली मोहम्मद शाद अजीमाबादी की 92वीं पुण्यतिथि मंगलवार को मनाई जाएगी। यह भी एक बड़ा संयोग है कि उनकी पुण्यतिथि के अगले ही दिन यानी बुधवार को उनकी जयंती है। पटना सिटी के हाजीगंज स्थित लंगर गली में जन्मे इस महान शायर की मजार यहीं है। यहां हर वर्ष सात जनवरी को पुण्यतिथि एवं आठ जनवरी को जयंती पर साहित्यकारों एवं उर्दू और शाद से मोहब्बत करने वालों की जमघट लगती है। इस बार भी लगेगी, लेकिन सबके लबों पर एक बार फिर शाद और उनकी स्मृतियों की उपेक्षा का शिकवा होगा।

- अरसे से की जा रही हर मांग अधूरी

नवशक्ति निकेतन के बैनर तले जमा होने वाले साहित्यकार, समाजसेवी, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद और उर्दू से मोहब्बत करने वाले शाद को हर साल याद करते हैं। 8 जनवरी 1846 को जन्मे और 7 जनवरी 1927 को दुनिया छोड़ गए। शाद की याद में उनके जन्मस्थल पर शाद एकेडमी तथा शाद स्मारक स्थापित करने की मांग आज तक अधूरी है। महापौर सीता साहू ने सात जनवरी 2018 को शाद अजीमाबादी के नाम पर एक गली का नामकरण किया, लेकिन आज तक इसका शिलापट्ट नहीं लगा। पटना सिटी में जन्मे शाद की रचनाओं को एकत्रित कर शाद समग्र के रूप में प्रकाशित करने की भी मांग साहित्यकार मुद्दतों से करते आ रहे हैं। इनके दुर्लभ ग्रंथों का दोबारा प्रकाशन एवं हिदी समेत भारतीय भाषाओं में अनुवादित कर प्रकाशित कराने की भी मांग भी हुई। शाद अजीमाबाद की स्मृतियों की उपेक्षा का दर्द चाहने वालों की सुकून में खलल डाल रहा है। शाद के नाम वाले पार्क से अवैध कब्जा हटा कर उसे बनवाने, राज्य सरकार द्वारा इनके नाम से पांच लाख की राशि का पुरस्कार घोषित करने, सरकारी आयोजन करने, उनके नाम का डाक टिकट जारी करने तथा उर्दू अकादमी द्वारा शाद समग्र प्रकाशित करने की मांग आज तक गुजारिश की राह पर ही खड़ी है।

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- आज मिलेगा शायरों को सम्मान

नवशक्ति निकेतन के सचिव कमल नयन श्रीवास्तव ने बताया कि शाद अजीमाबादी की पुण्यतिथि एवं जयंती के अवसर पर जानी-मानी कवयित्री डॉ. आरती कुमारी को एवं एमआर चिश्ती को शाद अजीमाबादी सम्मान से नवाजा जाएगा। युवा शायर कामरान गनी सबा को गौहर शेखपूर्वी सम्मान, कवयित्री अराधना प्रसाद एवं मो. नसीम अख्तर को साहित्य एवं सामयिक सम्मान दिया जाएगा।

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