किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने की राह में नमी नहीं बनेगी बाधा

चावल मिलों में धान सुखाने के लिए ड्रायर लगाने की योजना से किसानों को समर्थन मूल्य पर धान बेचने में नमी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। ज्य में अब कोई नई चावल मिल बिना ड्रायर लगाए नहीं खोली जा सकेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 03:09 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 03:10 PM (IST)
किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने की राह में नमी नहीं बनेगी बाधा
छोटे-मझोले किसानों को भी समर्थन मूल्य पर धान बेचने का मौका मिल सकेगा। फाइल

पटना, स्टेट ब्यूरो। इस साल प्रदेश में किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीद में नमी बाधा नहीं बनेगी। राज्य सरकार ने किसानों को सुकून देने वाली अच्छी पहल की है। उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य में एक नवंबर से जब धान खरीद की प्रक्रिया शुरू होगी तो इस बार नमी मुद्दा नहीं बनेगा। प्रदेश की सौ चावल मिलों में धान सुखाने के लिए ड्रायर लगाने की योजना है। अभी धान की सरकारी खरीद के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उनके मुताबिक 17 फीसद से अधिक नमी होने पर खरीद नहीं होती है।

नतीजा यह कि सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी धान खरीद का लक्ष्य पूरा करना कठिन बना रहता है। मानक से अधिक नमी ने क्रय केंद्रों पर अनियमितताओं के लिए भी राह बना दी है। ज्यादातर किसान छोटे एवं मझोले वर्ग के हैं, जिनके लिए पैसों की जरूरत होने के चलते खरीद का सीजन शुरू होते ही धान बेचना मजबूरी होती है। क्रय केंद्रों पर नमी की बाधा के चलते वे गांव में ही औने-पौने दाम पर बिचौलिए के हाथों धान बेच देते हैं। यदि किसानों के धान की नमी मानक के अनुरूप करने का पर्याप्त इंतजाम हो तो छोटे-मझोले किसानों को भी समर्थन मूल्य पर धान बेचने का मौका मिल सकेगा।

अच्छी बात है कि सरकार ने किसानों की इस समस्या का निदान करने की दिशा में सकारात्मक पहल की है। चावल मिलों में धान सुखाने के ड्रायर लगाने के लिए सरकार ने राशि उपलब्ध करा दी है। प्रत्येक ड्रायर पर 18 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। विभाग का दावा है कि अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक 60 फीसद चावल मिलों में ड्रायर लग जाएंगे। साथ ही राज्य में अब कोई नई चावल मिल बिना ड्रायर लगाए नहीं खोली जा सकेगी।

यह भी सच है कि प्रदेश में चावल भंडारण के लिए गोदामों की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण खुले बाजार में धान का मूल्य समर्थन मूल्य के मुकाबले चढ़ नहीं पाता है। ऐसे में, बाजार में प्रतिस्पर्धा लाने के लिए भंडारण की भी पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए। इसकी भी सतत निगरानी करनी होगी कि बिचौलिए नई सरकारी व्यवस्था को प्रभावित न कर सकें। तभी किसानों को सही मायने में लाभ मिल पाएगा।

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