कोरोना काल में आमदनी कमी, रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए पैसे नहीं
कोरोना काल में बाजार का लोगो लगाएं.... ----------- -आíथक तंगी का कारोबार पर पड़ा असर दूध दही चायपत्ती समेत अन्य खाद्य वस्तुओं की खपत में आई कमी अब धीरे-धीरे व्यवस्था लौट रही पटरी पर ----------- - 60 से 70 फीसद ही हो रहा किराना व अन्य खाद्य सामग्री का कारोबार -300 से 400 करोड़ की कमी अनाज मंडी का कारोबार में -31 मार्च के बाद थोक मंडी को समयबद्ध खोलने को मिली थी अनुमति -22 से 31 मार्च तक पूरी तरह से बंद रही पटना सिटी मुख्य मंडी मारूफगंज महारजगंज -2.60 लाख लीटर दूध की बिक्री थी लॉकडाउन से पहले अब दो लाख लीटर ही रह गई ------------------ जागरण संवाददाता पटना
पटना । कोरोना ने लोगों के रोजगार छीने। इससे आर्थिक तंगी हुई और उसका असर रोजमर्रा की चीजों के कारोबार पर पड़ा है। लोगों के पास सामान खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसके कारण दूध, दही, चायपत्ती समेत अन्य खाद्य वस्तुओं की खपत में कमी आई।
पटना सिटी मुख्य मंडी, मारूफगंज, महारजगंज मंडी को 22 से 31 मार्च तक पूरी तरह से बंद रही। अप्रैल से छूट मिली तो वाहन नहीं चलने के कारण काफी दिनों तक कारोबार पर प्रभाव दिखा।
किराना दुकानदार एसोसिएशन, मारूफगंज मंडी, मंसूर गंज मंडी, महराजगंज मंडी व्यावसायिक एसोसिएशन के अनुसार, लॉकडाउन के कारण पटना में 1000 करोड़ के कारोबार पर असर दिखा। अब व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। मारूफगंज मंडी के बसंत लाल गोलवारा, विनय कुमार पप्पू ने बताया कि कोरोना के कारण बाजार प्रभावित था। अब 60-70 फीसद कारोबार होने लगा है। दुर्गा पूजा व दीपावली तक व्यवस्था पटरी पर लौट आएगी।
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राजधानी में 60 हजार लीटर
कम हो रही दूध की बिक्री
राजधानी में कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन का असर दूध की बिक्री पर भी पड़ा है। लॉकडाउन से पहले राजधानी में 2.60 लाख लीटर दूध की बिक्री होती थी। कोरोना काल में 60 हजार लीटर कम हो गई। अब महज दो लाख लीटर दूध की बिक्री हो रही है। हालांकि, धीरे-धीरे इसमें वृद्धि हो रही है।
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लॉकडाउन के पहले बाजार बहुत अच्छा था। प्रतिदिन तीन सौ लीटर दूध की खपत, 30-40 पैकेट पनीर की बिक्री रोजाना होती थी। अब दुकान खुली तो इन खाद्य-सामग्री की बिक्री में काफी कमी आ गई है।
गौतम कुमार, ज्योति जनरल स्टोर, राजापुर
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लॉक डाउन के कारण किराना, मसाले, दूध आदि के कारोबार पर लगभग एक हजार करोड़ का असर दिखा है। इससे राज्य के व्यवसायियों की कमर टूट गई है। कइयों के रोजगार छिन गए। सरकार को राहत देनी चाहिए।
अशोक कुमार वर्मा, अध्यक्ष, कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स
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लॉकडाउन से पहले पचास किलो के 25-30 पैकेट चावल महीने में निकल जाता था, लेकिन अभी 8-10 बोरे की खपत हो रही है। महीने में दाल की बिक्री दो सौ से ढाई किलो होती थी, अब आधी हो गई है। पहले की तरह बाजार नहीं होने के कारण व्यापार मंदा है।
मुकेश कुमार, किराना स्टोर, मैनपुरा
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लॉकडाउन से पहले दुकान से रोजाना 50 किलो आटा और पांच किलो चायपत्ती की बिक्री होती थी। आज इन सामानों की बिक्री आधी हो गई है। 20-25 हजार रुपये की बिक्री महीने की थी, लेकिन इन दिनों सात-आठ हजार रुपये हो गई है।
अमरेंद्र कुमार, जनरल स्टोर, आनंदपुरी
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