फतुहा के श्मशान घाट पर दोगुना हुई चिताएं, लकड़ी भी महंगी

फतुहा। कोरोना संक्रमण से लगातार हो रहीं मौतों से फतुहा श्मशान घाट पर शवों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 01:40 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 01:40 AM (IST)
फतुहा के श्मशान घाट पर दोगुना हुई चिताएं, लकड़ी भी महंगी
फतुहा के श्मशान घाट पर दोगुना हुई चिताएं, लकड़ी भी महंगी

फतुहा। कोरोना संक्रमण से लगातार हो रहीं मौतों से फतुहा श्मशान घाट पर शवों की संख्या में एकाएक दोगुना का इजाफा हो गया है। शवों की संख्या बढ़ने से अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की कीमत में भी काफी उछाल आई है। साथ ही श्मशान घाट पर परिजनों व रिश्तेदारों के दाह संस्कार में आए लोगों को होटलों में पहले की अपेक्षा भोजन भी महंगा मिलने लगा है।

आसपास के लोगों का कहना है कि पहले जहां इस घाट पर प्रतिदिन अधिकतम 50 चिताएं जलती थीं, वहीं अब इसका आंकड़ा 100 के करीब पहुंच गया है। घाट पर शवों को मुखाग्नि देने वाले डोम राजा का कहना कि इसका कारण है कि पटना के विभिन्न श्मशान घाटों पर कोरोना से मरने वाले शव को जलाने में हो रही परेशानी भी है। वहां शव जलाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। इस वजह से पटना व आसपास के इलाकों के अधिकांश लोग फतुहा श्मशान घाट पर शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि घाट पर शवों की संख्या अचानक दोगुनी हो गई है। उन्होंने बताया कि पटना से आने वाले अधिकांश शव कोरोना संक्रमित के ही आ रहे हैं। इससे मुखाग्नि देने में भी हम लोगों को परेशानी हो रही है। हम लोगों की सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था अब तक नहीं की गई है। सती स्थान मोक्षधाम में शवों की कतार, अव्यवस्था से लोग परेशान

बाढ़। उत्तरवाहिनी गंगा घाट उमानाथ से सटा सती स्थान मोक्षधाम इन दिनों लाशों के ढेर से पटा हुआ है। हालत यह है कि पूरी रात शवों के अंतिम संस्कार का कार्य जारी है। सबसे ज्यादा शव निकटवर्ती नालंदा, शेखपुरा और नवादा जिले से आ रहे हैं। वहीं, कोविड-19 के कहर के चलते भी इन श्मशान घाटों पर आधा दर्जन से ज्यादा चिता हर समय जलती देखी जा सकती हैं। इलाके के लोगों द्वारा करीब दो दशक पहले से ही विद्युत शवदाह गृह की माग की जा रही थी। लेकिन आज तक इस पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। जिससे इलाके में बड़े पैमाने पर प्रदूषण का खतरा भी बना रहता है। हर समय चिताएं जलने से लोगों को जीना मुहाल हो गया है। हाल के दिनों में गरीब दोगुना से भी ज्यादा लाशें आने लगी हैं। इससे हर समय शमशान घाट लाशों के ढेर से पटा है। अनुमंडल प्रशासन अक्सर समाज के बड़े लोग या फिर बड़े अधिकारी के परिजन की जब मौत होती है तो यहा पहुंचते हैं। उस समय लोगों द्वारा बिजली पानी और बैठने की समस्या से प्रशासन को अवगत कराया जाता है। लेकिन हाल के दिनों में यह श्मशान घाट प्रदूषण का बड़ा केंद्र बन रहा है। हर दिन 1000 क्विंटल से भी ज्यादा आम की लकड़ियां जलने से प्रदूषण भी फैल रहा है। अनुमंडल प्रशासन द्वारा यहा पर किसी प्रकार का कंट्रोल रूम नहीं बनाया गया है। प्रखंड विकास पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि कोविड-19 के खतरे को देखते हुए इलाके में अक्सर सैनिटाइजेशन और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जाता है, ताकि आने-जाने वाले लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा न हो।

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