बिहार के IITian ने बनायी डिवाइस, दो बूंद खून से 24 घंटे ग्लूकोज की मिलेगी जानकारी

Big achievement IIT इंदौर के फैकल्टी डॉ. अभिनव कुमार सिंह (पटना बिहार निवासी) ने एक डिवाइस तैयार की है। उससे डायबिटीज के मरीजों को चौबीस घंटे ग्लूकोज लेवल की जानकारी मिलेगी।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 06:54 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 08:01 PM (IST)
बिहार के IITian ने बनायी डिवाइस, दो बूंद खून से 24 घंटे ग्लूकोज की मिलेगी जानकारी
बिहार के IITian ने बनायी डिवाइस, दो बूंद खून से 24 घंटे ग्लूकोज की मिलेगी जानकारी

पटना, जयशंकर बिहारी। आइआइटी इंदौर के फैकल्टी डॉ. अभिनव कुमार सिंह (पटना, बिहार निवासी) ने एक डिवाइस तैयार की है। उससे डायबिटीज के मरीजों को चौबीस घंटे ग्लूकोज लेवल की जानकारी मिलेगी। वर्तमान में ग्लूकोज लेवल की जांच के लिए ग्लूकोमीटर का सहारा लेना होना है। लेकिन डायबिटीज मरीजों के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा के उतार-चढ़ाव की जानकारी के लिए अब बार-बार ब्लड सैंपल देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक डिवाइस यह बता देगी कि शरीर में ग्लूकोज का स्तर क्या है। यानी दो बूंद खून से डायबिटीज के मरीजों को चौबीस घंटे ग्लूकोज स्तर की जानकारी मिलेगी। मोबाइल जैसी स्क्रीन पर पीडि़त को हर मिनट ग्लूकोज की मात्रा की जानकारी मिलती रहेगी। यह भी जानकारी मिलेगी कि शरीर में ग्लूकोज की मात्रा में उतार-चढ़ाव किस दौरान तेजी से होता है। इस आधार पर इलाज भी सहज हो सकेगा। 

कैसे काम करेगी डिवाइस 

कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनीटरिंग (सीजीएम) डिवाइस शरीर के किसी भी हिस्से में सेट किया जा सकता है। डॉ. अभिनव ने बताया कि सामान्य तौर पर इसे पेट के उपर फिट किया जा सकेगा। यह बहुत छोटे आकार में है। इसकी सूई स्क्रीन के नीचे होगी। सूई को ही त्वचा में फिट कर दिया जाएगा,  लेकिन चुभन का जरा भी अहसास नहीं होगा। 

डिवाइस में दिखेगा डाटा 

बेहतर परिणाम के लिए पीडि़त को 12 घंटे पर ब्लड सैंपल देकर ग्लूकोमीटर से मात्रा की जांच करनी होगी। इस डाटा को डिवाइस में अंकित किया जाएगा। शरीर में लगी डिवाइस ग्लूकोज की मात्रा को इलेक्ट्रिक करंट में परिवर्तित कर वायरलेस से जुड़ी स्क्रीन पर भेजेगी। उस पर ग्लूकोज की मात्रा दिखती रहेगी। 

कनाडा के सहयोग से किया शोध

डॉ. अभिनव ने बताया कि कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनीटङ्क्षरग (सीजीएम) पर शोध मैकगिल यूनिवर्सिटी, कनाडा के सहयोग से किया गया। डॉ. अभिनव के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने इस पर शोध किया। इसमें दो अन्य साथी अमेरिका व कनाडा के हैं। शोध को इसी साल इंटरनेशनल जर्नल आइईईई ट्रांजैक्शन ऑन कंट्रोल सिस्टम टेक्नोलॉजी ने प्रकाशित किया है। डिवाइस के पेटेंट की प्रक्रिया चल रही है। डिवाइस के सत्यापन के लिए अमेरिका और कनाडा के कई अस्पतालों में परीक्षण किया गया है। 

कौन हैं डॉ. अभिनव 

डॉ. अभिनव पटना के रहने वाले हैं। उन्होंने 10वीं की पढ़ाई पटना के सरकारी स्कूल देवी दयाल हाईस्कूल, लोहानीपुर और 12वीं जीडी पाटलिपुत्र प्लस टू स्कूल, कदमकुआं से की। बीटेक कोच्चि यूनिवर्सिटी और पीएचडी आइआइटी पटना से किया। इस समय आइआइटी इंदौर के फैकल्टी हैं। 

कहते हैं एक्‍सपर्ट

पीडि़त के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा तेजी से घटती-बढ़ती है। यह कभी-कभी खतरनाक साबित होता है। कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनीटरिंग (सीजीएम) सिस्टम से पीडि़त को लाभ होगा। इसका उपयोग अभी किया जाता है, लेकिन इसे प्लांट करने की प्रक्रिया जटिल है। इस तरह के डिवाइस के आने से डॉक्टरों और डायबिटीज के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। 

- डॉ. मनोज कुमार सिन्हा, मधुमेह रोग विशेषज्ञ, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, पटना। 

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