सरकार की येे योजनाएं अगर सफल होती हैं तो देश के लिए मिसाल बनेंगे सभी सरकारी विद्यालय
सरकार की योजनाएं अगर सफल होती हैं तो निश्चित रूप से सूबे के सभी सरकारी विद्यालय भव्य दिखेंगे और देश के लिए मिसाल बनेंगे। अब जब नल-जल योजना से इसे जोड़ दिया जाएगा तो बच्चों को शुद्ध पेयजल अपने विद्यालय में उपलब्ध होगा।
पटना, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था, स्वच्छता में ईश्वर का वास होता है। यदि कोई स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता। बेहतर साफ-सफाई से ही भारत के गांवों को आदर्श बनाया जा सकता है। उन्होंने सभी के लिए पूर्ण सफाई का सपना देखा था। इधर, वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। बाद में इसने राष्ट्रीय जन आंदोलन का आकार ले लिया। स्वच्छता बिहार सरकार की भी प्राथमिकता में है। वह इसकी नींव को मजबूत करने में लगी है।
कहते हैं कि इंसान की बचपन में सीखी आदत उसके साथ लंबा रास्ता तय करती है और उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है। इसकी सराहना होनी चाहिए कि राज्य सरकार विद्यालयों में पठन-पाठन के अलावा साफ-सफाई और पर्यावरण पर विशेष ध्यान दे रही है। सरकार की योजनाएं अगर सफल होती हैं तो निश्चित रूप से सूबे के सभी सरकारी विद्यालय भव्य दिखेंगे और देश के लिए मिसाल बनेंगे।
शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी प्रारंभिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में स्वच्छता अभियान चलाने का फैसला लिया है। इसमें बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यालयों को पुरस्कृत किया जाएगा। बड़ी बात यह कि इस पुरस्कार योजना में शत-प्रतिशत सरकारी विद्यालयों का ही पंजीकरण किया जाएगा। बच्चे शिक्षक से सीखते हैं। यदि शिक्षक सफाई का ध्यान रखेंगे और हाथ धोएंगे तो बच्चे उनका अनुसरण करेंगे।
अगले सत्र से विद्यालयों में बच्चों के बीच पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान चलाने का भी फैसला लिया गया है। विद्यालय परिसर में पौधारोपण के काम को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके प्रोत्साहन के लिए प्रतियोगिताएं भी कराई जाएंगी। इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में विद्यालयों को नल-जल योजना से जोड़ने की भी सरकार की तैयारी है। अभी विद्यालयों में चापाकल तो लगे हैं, लेकिन कई खराब पड़े है। अब जब नल-जल योजना से इसे जोड़ दिया जाएगा तो बच्चों को शुद्ध पेयजल अपने विद्यालय में उपलब्ध होगा।