पीयूः शोध पत्र में समानता पर नपेंगे गाइड, 60 प्रतिशत चोरी पर रजिस्ट्रेशन निरस्त
अब शोध पत्र में चीटिंग करना भारी पड़ेगा। पटना विश्वविद्यालय रिसर्च स्कालर पर नजर रखेगा। गाइड के साथ शोधार्थी पर भी की जाएगी कार्रवाई।
पटना, जेएनएन। अब सेटिंग कर शोधपत्र जमा कराने वालों की खैर नहीं है। पटना विवि प्रशासन ने इसके लिए कड़ा रुख अपना लिया है। पीएचडी के शोधपत्र में लिखित सामग्री की तय सीमा से अधिक समानता पाए जाने पर शोधार्थी के साथ-साथ सुपरवाइजर पर भी कार्रवाई होगी। ये बातें व्हीलर सीनेट हॉल में पीयू आइक्यूएसी द्वारा आयोजित कार्यशाला में कुलपति प्रो. रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि शोध में ईमानदारी पहली अनिवार्यता है। पीयू सूबे के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए आदर्श पेश करें। इसमें किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बीएन कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राजकिशोर प्रसाद ने पीपीटी के माध्यम से यूजीसी के मानक व जरूरी पहलुओं व डॉ. अशोक कुमार झा ने थिसीस पर प्रकाश डाला। प्रोवीसी प्रो. डॉली सिन्हा ने शोधपत्र तैयार करने को लेकर राजभवन के निर्देश से अवगत कराया। कार्यशाला को डीएसडब्ल्यू प्रो. एनके झा, विकास पदाधिकारी पीके खान, पटना साइंस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. बीके मिश्रा ने संबोधित किया।
80 फीसद चोरी पर हटेंगे थिसीस सुपरवाइजर
प्रोवीसी ने कहा कि थिसीस में 20 फीसद से कम सामग्र्री की चोरी होने पर स्वीकार किया जाएगा। जबकि यूजीसी का मानक 10 फीसद है। इसके 20 से 50 फीसद होने पर छह माह के अंदर दोबारा थिसीस जमा करने का अवसर दिया जाएगा। 50 से 60 फीसद पर एक साल बाद ही थिसीस जमा कर पाएंगे। जबकि 60 फीसद से अधिक रहने पर रजिस्ट्रेशन रद कर दिया जाएगा तथा सुपरवाइजर का इंक्रिमेंट रोक दिया जाएगा। 80 फीसद से अधिक रहने पर सुपरवाइजर का इंक्रीमेंट रोकने के साथ-साथ थिसीस सुपरवाइजर से हटा दिया जाएगा।