पुआल से पत्तल बनाने का दिया आइडिया तो मिले पांच लाख रुपये

पुआल से पत्तल बनाने का दिया आइडिया तो मिले पांच लाख रुपये।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 01:31 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 06:28 AM (IST)
पुआल से पत्तल बनाने का दिया आइडिया तो मिले पांच लाख रुपये
पुआल से पत्तल बनाने का दिया आइडिया तो मिले पांच लाख रुपये

पटना। पटना विश्वविद्यालय के व्हीलर सीनेट हाउस में सोमवार को बॉयोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च एसिस्टेंस काउंसिल (बीआइआरएसी), केआइआइटी-टीबीआइ स्थित बीआरटीसी रीजनल टेक्नो एंटरप्रेन्योरशिप सेंटर और पटना विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दोदिवसीय बॉयो एंटरप्रेन्योरशिप वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को आइडिया का महत्व और उसे मंजिल तक पहुंचाने के गुर विशेषज्ञों ने बताए।

पटना साइंस कॉलेज के बीएससी की छात्रा रागनी कश्यप ने विशेषज्ञों को पुआल और भूसा से पत्तल बनाने का आइडिया दिया। छात्रा ने बताया कि दोनों का सदुपयोग करने इसे जलाने की नौबत नहीं आएगी। इसके साथ ही इससे बने पत्तल व अन्य सामग्री उपयोग के बाद आसानी से नष्ट हो जाएगा। केआइआइटी टेक्नोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेटर के सीईओ डॉ. मृत्युंजय को यह आइडिया बेहतर लगा, और उन्होंने रागनी को शोध कार्य पूरा करने के लिए पांच रुपये देने का ऑफर दिया। छात्रा ने बताया कि राशि मिलने से आइडिया को मंजिल तक पहुंचाने में सहूलियत होगी। संयोजक प्रो. बीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि कार्यशाला में पटना विश्वविद्यालय के अतिरिक्त पाटलिपुत्र विवि, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, आर्यभट्ट नॉलेज विश्वविद्यालय, भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आदि के 150 से अधिक चयनित छात्र व शोधार्थी शामिल हुए। पहले दिन प्रदुप वेंचर के फाउंडर पंकज ठाकुर ने स्टार्टअप के विभिन्न चरणों की जानकारी दी। मंगलवार को पीयू के एलुमिनाई और आइसीजीईबी, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. नील एस भवेश तथा एनआइपीजीआर, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. जीतेंद्र ठाकुर अपना अनुभव साझा करेंगे।

आइडिया खोलता है सफलता का द्वार

डॉ. मृत्युंजय ने बताया कि आइडिया बहुमूल्य होता है। इसे मरने नहीं दें। उचित मंच पर साझा करने पर शोध और विस्तार के लिए हर तरह से सहयोग सरकार व एजेंसियां देती हैं। आइडिया किसी भी उम्र में और किसी को आ सकता है। शिक्षक, छात्र, प्रोफेशनल आइडिया को जमीन पर उतारने के लिए एजेंसियों का सहारा लें। स्टार्टअप बड्डी के को-फाउंडर अमित सेंगल ने कहा कि आइडिया में दम हो तो संसाधन और धन की कमी नहीं रहती है। उन्होंने बताया कि पटना आने से पहले फीडबैक संतोषजनक नहीं मिला था। लेकिन, छात्र-छात्राओं के पास सोसाइटी को नई दिशा देने का आइडिया है। थोड़े मार्गदर्शन में बच्चे नौकरी खोजने के बजाए नौकरी देने वाले बन सकते हैं। स्टार्टअप हब के लिए उठाए जाएंगे कई कदम

कुलपति प्रो. रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि पीयू को स्टार्टअप हब बनाने के लिए कई स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। बच्चों में सोसाइटी को देने के लिए काफी कुछ है। इन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच देने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए यूरोप के कई विश्वविद्यालयों से एमआयू साइन किया गया है। इस तरह की कार्यशाला से आइडिया को मंजिल देने में सहायता मिलेगी। प्रोवीसी प्रो. डॉली सिन्हा ने कहा कि इंक्यूबेशन सेंटर का लाभ शिक्षक भी उठा सकते हैं। शोध कार्य में यह काफी सहायक सिद्ध होने वाला है।

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