शिकारी से बचने के लिए मरने का नाटक करता है कुत्‍ते जैसा दिखने वाला लकड़बग्घा

Patna Zoo main attractions लकड़बग्घे को देख आपकी आंखे ना खा जाए धोखा शिकारी को भी धोखा देने में सक्षम है कुत्‍ते की तरह दिखने वाला यह जानवर झुंड में हो तो शेर और बाघ को भी पिला देता है पानी

By Shubh NpathakEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 09:20 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 09:20 AM (IST)
शिकारी से बचने के लिए मरने का नाटक करता है कुत्‍ते जैसा दिखने वाला लकड़बग्घा
पटना चिड़‍ियाघर के अपने केज में टहलता लकड़बग्‍घा। जागरण

पटना, जेएनएन। संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना में ऐसे तो कई प्रकार के पशु-पक्षी रहते हैं, जिन्‍हें दर्शक आसानी से एक बार में ही देखकर पहचान लेते हैं। लेकिन, कुछ पशु-पक्षी ऐसे भी हैं, जिसे एक बार में देखकर पहचान पाना मुश्किल होता हैं। उनमें से एक है लकड़बग्घा। अगर आपने कभी लकड़बग्घे को नहीं देखा है, तो जरा सावधान हो जाइये। कहीं इसे देखने के बाद आपकी आंखे भी धोखा ना खा जाएं। गोलाकार सिर और नुकीला काला थूथुन वाला यह जानवर कुत्ते की तरह दिखाई देता है। इसका रंग भूरा होता है जिसपर काले निशान होते हैं। देखने में यह भले ही कुत्‍ते की तरह हो, लेकिन खतरनाक उससे कई गुना अधिक होता है।

दिन में खूब सोता है लकड़बग्घा

लकड़बग्घा दिन में ज्यादा समय सोने में व्यतीत करता है। इसका अगला पैर पिछले पैर की तुलना में बड़े होता है।  इसके अगले पैर में चार भोथर उंगली होते हैं। इसके जबड़े और दांत बहुत ही मजबूत होते हैं।

देखने, सुनने और सूंघने की शक्ति होती है तेज

लकड़बग्घे की देखने, सुनने और सूंघने की शक्ति बहुत ही तेज होती है। पूरी तरह से व्यस्क लकड़बग्घे की लंबाई 3.6 फीट होती है। इसका पूंछ 8 इंच लंबा और वजन 35 से 40 किलो होता है।

बड़े चाव से खाता है सड़ा हुआ मांस

लकड़बग्घा एक मांसाहारी जंतु है। यह खासकर सड़ा हुआ और गंदा मांस बड़े ही चाव से खाता है। चिडिय़ाघर में प्रतिदिन लकड़बग्घा 2-3 किलो मांस खाता है। अंधेरा होने पर ये अपने मांद से निकलता है। और सुबह होने से पहले ही अपने मांद में लौट भी आता है।

2-3 वर्ष के आयु में हो जाते हैं प्रजनन योग्य

लकड़बग्घा 2-3 वर्ष के आयु में ही प्रजनन योग्य हो जाते हैं। इसका गर्भावस्थाकाल 88-92 दिन का होता है। मादा लकड़बग्घा एक बार में सामान्यत: 2-3 बच्चे को जन्म देती है। लकड़बग्घे की औसत आयु 10 से 12 वर्ष की होती है। जबकि चिडिय़ाघर में ये 20-25 वर्ष तक जीवित रहते हैं।

शिकारी के सामने करते हैं मर जाने का नाटक

जब कोई शिकारी या जीव इन्हें शिकार करने आते हैं,तो ये मर जाने का नाटक करते हैं। जो शिकारी द्वारा गंभीर चोट खाने से बचने का इनका लाजवाब तरीका है।

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