बिहार के इन 94 ब्लैक स्पाट पर हर वर्ष सैकड़ों की जाती है जान, यहां हादसे रोकने की कोशिशें भी नाकाम
राज्य की छह सड़कों पर 94 ऐसे ब्लैक स्पाट हैं जहां हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जान जाती है।कहीं तीखा मोड़ है तो कहीं सड़कों की हालत बेहद खराब है। पथ निर्माण विभाग परिवहन विभाग आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और पुलिस की इन्हें रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम होती रही हैं।
पटना, जेएनएन। बिहार की छह प्रमुख सड़कों पर 94 ऐसे ब्लैक स्पाट हैं, जहां हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जान जाती है। अधिसंख्य हादसे इन्हीं स्थानों पर होते हैैं। इसके कई कारण हैैं। कहीं तीखा मोड़ है तो कहीं सड़कों की हालत बेहद खराब है। पथ निर्माण विभाग, परिवहन विभाग, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और पुलिस की इन्हें रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम होती रही हैं। सड़कों की खामियों को दूर करने के प्रयास जारी हैं।
सड़कों के डिवाइडर की समय-समय पर रंगाई-पुताई, रिफ्लेक्टर लगाने, ट्रैफिक सिग्नल को दुरुस्त रखने, सूचना पट लगाने के अलावा यातायात सुरक्षा मानकों के प्रति तमाम सतर्कता के बावजूद दुर्घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। प्रदेश के 38 जिलों में दस शीर्ष दुर्घटना वाले जिलों में गया शामिल है। राजधानी पटना में न्यू बाइपास करमलीचक 70 फीट पर अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। ज्यादा दुर्घटना वाले शहरों में भागलपुर, मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद, समस्तीपुर और पटना शामिल हैं। अगर सड़कों की बात करें तो इस श्रेणी में एनएच-31, एच-83, एनएच-02, एनएच-77, एनएच-28 और एनएच-30 है। हालांकि दूसरे प्रदेशों की तुलना में बिहार के आंकड़े थोड़ी राहत देने वाले हैं। ब्लैक स्पाट पर सड़क दुर्घटना के मामले में बिहार देश में 19वें पायदान पर है।
यहां हो रहे सर्वाधिक सड़क हादसे
भागलपुर जिले के नवगछिया में एनएच-31 पर जीरो माइल के पास सर्वाधिक सड़क हादसे होते हैं। वहीं, गया जिले में मगध मेडिकल के पास एनएच-83 पर कैंट एरिया में अक्सर दुर्घटनाएं घटती है। इसके अलावा एनएच-02 पर गया जिले में बाराचट्टी के काहुबाग, वहीं, शेरघाटी के गोपालपुर, नौगछिया में बस स्टैंड के पास, डोबी में बजौरा ब्लैक स्पाट पर दुर्घटनाएं होती है। मुजफ्फरपुर जिले में एनएच-77 पर भिखनपुरा में ब्लैक स्पाट है। औरंगाबाद जिले में मदनपुर में एनएच-02 पर शिवगंज में ब्लैक स्पाट है। इसके अलावा समस्तीपुर जिले के उजियारपुर में एनएच-28 पर सतनपुर दुर्घटना बहुल है। अगर आंकडों के आधार पर देखें तो देश के शीर्ष 15 सड़क दुर्घटना वाले प्रदेशों में बिहार में 2018 में जहां 6729 लोग मारे गए थे वहीं, 2019 में 6964 लोग काल के ग्रास बने।