बिहार के 15 से 24 साल के दंपतियों पर स्वास्थ्य विभाग की नजर, जानें क्या है मामला

Bihar News सिविल सर्जन डा. विभा कुमारी सिंह ने सभी चिकित्सा प्रभारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं। पाथ फाइंडर जिले की 50 प्रतिशत यानी 1250 आशा कार्यकर्ताओं को परिवार नियोजन उपायों की काउंसलिंग के लिए प्रशिक्षित देगा।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 05:50 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 05:50 PM (IST)
बिहार के 15 से 24 साल के दंपतियों पर स्वास्थ्य विभाग की नजर, जानें क्या है मामला
बिहार के 15 से 24 साल के दंपतियों पर स्वास्थ्य विभाग की नजर बनी हुई है। सांकेतिक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना : सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने और शिशु मृत्युदर कम करने के लिए जिले में 15 से 25 आयुवर्ग की विवाहित युवतियों को चिह्नित किया जाएगा। सिविल सर्जन डा. विभा कुमारी सिंह ने सभी चिकित्सा प्रभारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं। पाथ फाइंडर जिले की 50 प्रतिशत यानी 1250 आशा कार्यकर्ताओं को परिवार नियोजन उपायों की काउंसलिंग के लिए प्रशिक्षित देगा। इन्हें चिह्नित दंपतियों को सही उम्र तक गर्भ धारण नहीं करने के लिए प्रेरित करने के साथ पसंदीदा परिवार नियोजन के उपाय घर तक मुहैया कराने की जिम्मेदारी दी जाएगी। 

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा परेशानी 

सिविल सर्जन ने कहा कि आज भी खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कम उम्र में लड़कियों की शादियां हो रही हैं। इस कारण वे कम उम्र में मां बन रही हैं और इससे सुरक्षित मातृत्व अभियान और शिशु मृत्युदर घटाने में काफी समस्या आ रही है। कम उम्र में तीन साल से कम अंतराल पर एक से अधिक बच्चों को जन्म देने से न केवल मां की जान को खतरा होता है बल्कि कुपोषण से वह कई प्रकार के रोगों की चपेट में आ जाती हैं। इसके साथ ही कमजोर कुपोषित मां से कम वजन के बच्चे जन्म लेते हैं, जिनको बचाना मुश्किल हो जाता है। 

एनएफएचएस रिपोर्ट 2019-20 के आंकड़े 

- 43.4 प्रतिशत ग्रामीण और 27.9 प्रतिशत शहरी 20 से 24 आयुवर्ग की युवतियों की शादी 18 वर्ष से पहले हुई थी। 

- 34.3 प्रतिशत ग्रामीण और 18.3 प्रतिशत शहरी 25 से 29 आयुवर्ग के युवकों की शादी 21 वर्ष से पहले हुए थी। 

- ग्रामीण क्षेत्र में प्रजनन दर 3.1 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 2.4 प्रतिशत थी 2019-20 में।  

- 11.6 प्रतिशत ग्रामीण और 7.4 प्रतिशत शहरी 15 से 19 आयुवर्ग की युवतियां सर्वे के समय थीं गर्भवती। 

- 80 प्रतिशत ग्रामीण और 60 प्रतिशत शहरी क्षेत्र की 15 से 19 आयुवर्ग की विवाहित किशोरियां बन चुकी थीं मां ।

- 62.3 प्रतिशत शहरी और 54.6 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में लोग कर किसी न किसी प्रकार के परिवार नियोजन उपाय का इस्तेमाल। 

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