केवल 30 कट्ठा खेत में उपजाया 40 क्विंटल करैला, साल भर में कमा कर दिखाए साढ़े तीन लाख रुपये
हाजीपुर में 22 साल के युवा किसान ने करैला की खेती कृषि वैज्ञानिकों एवं इलाके के किसानों को भी हैरत में डाल दिया है। युवा किसान ने महज 30 कट्ठा खेत से सप्ताह में 30 से 40 क्विंटल करैला की उपज हासिल की है।
हाजीपुर [रवि शंकर शुक्ला]। कुछ कर गुजरने का साहस हो और हौसला बुलंद हो तो ऐसे व्यक्ति के कदम सफलता चूमती है। हाजीपुर में 22 साल के युवा किसान ने करैला की खेती कृषि वैज्ञानिकों एवं इलाके के किसानों को भी हैरत में डाल दिया है। युवा किसान ने लीज पर जमीन लेकर करैला की खेती की और महज 30 कट्ठा खेत से सप्ताह में 30 से 40 क्विंटल करैला की उपज हासिल की है।
करैला के बीच कद्दू की इंटर क्रॉपिंग का कर रहे प्रयोग
सबसे बड़ी बात है कि कोरोना के संकटकाल में मंदी के दौरान भी इस युवा किसान ने हार नहीं और अपने हौसले को बरकरार रखा। इसके पहले वर्ष में करीब दो लाख रुपये लागत काटकर साढ़े तीन लाख रुपये की आमदनी की। उपज से उत्साहित इस युवा ने अब करैला में कद्दू की इंटर क्रॉपिंग का प्रयोग शुरू किया है ताकि आमदनी को और अधिक बढ़ाया जा सके।
19 साल की उम्र में शुरू की थी खेती
सफलता की यह कहानी वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर से महज छह किलोमीटर दूर हरौली की है। गंडक किनारे हाजीपुर-लालगंज मुख्य पथ से सटे स्थित इस गांव में वर्ष 2017 में महज 19 वर्ष की उम्र में पढ़ाई के दौरान मेघन सहनी के पुत्र रणधीर कुमार सहनी ने खेती करने की ठानी।
सालाना लीज पर जमीन लेकर शुरू की खेती
उन्होंने 500 रुपये सालाना लीज पर करीब 30 कट्ठा खेत लिया। करैला की खेती शुरू की। पाली-एफ 1 करैला के बीज को लगाया। पहला वर्ष उसके जानने-समझने के साथ अनुभव प्राप्त करने का था। उपज ठीक-ठाक हुई। इसके बाद अपने अनुभव की बदौलत युवा किसान ने जो तरक्की की इबारत लिखनी शुरू की आज इलाका उसका कायल है।
कपड़े की दुकान चलाने के साथ खेती भी करता है रणधीर
रणधीर कपड़े की दुकान चलाने के साथ ही साथ खेती भी करता है। बताता है कि 9500 रुपये किलो का करैला का पाली एफ-1 बीज से खेती करता है। करीब 700 ग्राम बीज लगता है। खाद-पानी, मजदूर एवं अलान बनाने समेत सभी खर्च करीब दो लाख रुपये आते हैं। नवंबर में खेत में बीज लगता है।
अप्रैल से जुलाई तक उपज देती है एक ही फसल
मार्च के अंत या अप्रैल के प्रथम सप्ताह से करैला टूटने लगता है। शुरुआती माह में प्रत्येक सप्ताह 4 से 5 क्विंटल उपज होती है। सप्ताह में दो बार खेत से करैला टूटता है। मई एवं जून में प्रत्येक सप्ताह 30 से 40 क्विंटल करैला टूटता है। जुलाई में फसल का अंत होता है और इस माह में भी प्रत्येक सप्ताह 4 से 5 क्विंटल करैला टूटता है।
पिछले साल अच्छी उपज के बाद भी हुआ था घाटा
युवा किसान ने रणधीर बताया कि बाजार भाव के आधार पर आमदनी निर्भर होती है। बीते वर्ष कोरोना के संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के कारण खेत में 2 से 5 रुपये तक ही करैला बिका। अच्छी उपज होने के बाद भी घाटे का सामना करना पड़ा। अगर बाजार भाव ठीक रहे तो 5 से छह लाख रुपये तक आमदनी हो सकती है। इस बार आमदनी बढ़ाने को करैला के खेत में कद्दू की इंटर क्रॉपिंग का भी प्रयोग किया। कद्दू थोड़ा-बहुत निकलना शुरू हुआ है। चार भाइयों में तीसरे रणधीर ने बताया है कि बड़े भाई गुड्डू सहनी भी खेती में उनका साथ देते हैं।
कृषि वैज्ञानिक ने भी सराहा
कृषि विज्ञान केंद्र, हरिहरपुर, हाजीपुर की प्रभारी डॉ. सुनीता कुशवाहा ने बताया कि यह सामान्य से काफी अधिक उपज है। अमूमन 30 कट्ठा खेत में 15 से 20 क्विंटल ही करैला की अधिकतम उपज होती है। अगर युवा किसान रणधीर ने 30 कट्ठा खेत में 30 से 40 क्विंटल उपज की है, तो यह काफी अधिक है। वे खुद जाकर वहां खेती के तौर-तरीकों को देखेंगी कि कैसे इतनी अधिक उपज हुई है।