बिहार: लोकसभा के बाद अब उपचुनाव भी लेगा महागठबंधन की एकता की परीक्षा

लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर महागठबंधन में घटक दल एकता के नगमें एक सुर में गाने लगे हैं। लेकिन उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर फिर से एक बार उनकी एकता को ग्रहण लग सकता है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Mon, 16 Sep 2019 11:16 AM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 07:28 PM (IST)
बिहार: लोकसभा के बाद अब उपचुनाव भी लेगा महागठबंधन की एकता की परीक्षा
बिहार: लोकसभा के बाद अब उपचुनाव भी लेगा महागठबंधन की एकता की परीक्षा

पटना [अरविंद शर्मा]। लोकसभा चुनाव में बिहार के पांच विधायक जीतकर सांसद बन गए हैं। लिहाजा रिक्त हुई सीटों पर उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। खाली सीटों पर दावेदारी का आधार चाहे जो हो, मगर हिस्सेदारी को लेकर महागठबंधन में फिर से तकरार तय है।

लोकसभा में करारी शिकस्त के बाद महागठबंधन के घटक दल एकता के नगमे फिर से गाने लगे हैं, लेकिन दूसरी ओर सीटों के लिए भी अडऩे-मचलने लगे हैं। रिक्त पांच सीटों पर राजद और कांग्रेस की ओर से तीन-तीन की दावेदारी पहले ही सामने आ चुकी है।

अब जीतनराम मांझी की पार्टी भी दो सीटों की मांग करने लगी है। सबको संतुष्ट करने के लिए कम से कम आठ सीटें होनी चाहिए थी। जाहिर है, लोकसभा की तरह उपचुनाव भी महागठबंधन की एकता की परीक्षा लेने वाला है। 

लोकसभा चुनाव में जो विधायक किस्मत आजमाकर सांसद बन गए हैं, उनमें जदयू के चार और कांग्र्रेस के एक हैं। जदयू विधायकों में बेलहर से गिरिधारी यादव, नाथनगर से अजय मंडल, दरौंदा से कविता सिंह और सिमरी बख्तियारपुर से दिनेश चंद्र यादव शामिल हैं। 

कांग्रेस के किशनगंज विधायक डॉ. मुहम्मद जावेद ने भी संसदीय चुनाव जीतकर बिहार में कांग्रेस के लिए खाता खोला था। जावेद की जीत से कांग्रेस उत्साहित है और इसी आधार पर खुद को राजद से आगे बता रही है।कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने किशनगंज के अलावा नाथनगर और सिमरी बख्तियारपुर पर भी दावा किया है। उनका आधार तीनों सीटों पर कांग्रेस की पूर्व की जीत है। 

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को छोड़कर महागठबंधन के सारे घटक दलों का सफाया हो गया है। ऐसे में किशनगंज विधानसभा सीट पर कांग्रेस की दावेदारी को लेकर किसी तरह का अगर-मगर नहीं है, लेकिन अन्य चार सीटों पर झंझट आगे बढ़ता दिख रहा है। प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राजद ने कम से कम तीन सीटों की दावेदारी कर रखी है।

राजद की कोशिश लोकसभा चुनाव में हुई हार की भरपाई करने की है। लिहाजा उसकी नजर बेलहर के अलावा नाथनगर और सिमरी बख्तियारपुर सीटों पर है। दावेदारी जनाधार के आधार पर की जा रही है। जीतनराम मांझी भी दावेदारी में पीछे नहीं हैं। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने दो सीटों किशनगंज और नाथ नगर पर दावेदारी कर रखी है। 

लोकसभा सीट पर कांग्रेस की दावेदारी 

लोजपा सांसद रामचंद्र पासवान के निधन से खाली हुई समस्तीपुर लोकसभा सीट पर महागठबंधन की ओर से सबसे मजबूत दावा कांग्रेस का बनता है। अबकी सीट बंटवारे में भी यह कांग्रेस के खाते में ही आई थी। 2014 के चुनाव में मामूली मतों के अंतर से कांग्र्रेस प्रत्याशी अशोक राम हार गए थे।

इस बार मोदी की प्रचंड लहर में भी अशोक ने राजग प्रत्याशी रामचंद्र पासवान को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि समस्तीपुर पर कांग्रेस की दावेदारी के मसले पर राजद की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है। ऐसे में स्पष्ट है कि सीटों पर जब बातचीत होगी तो समग्र्रता में होगी और समस्तीपुर के एवज में राजद विधानसभा की ज्यादा सीटों पर अड़ सकता है। 

कौन सांसद कहां से थे विधायक 

सीट : विधायक (चुनाव 2015) : पार्टी

बेलहर : गिरिधारी यादव जदयू 

नाथनगर : अजय मंडल जदयू 

दारौंदा : कविता सिंह जदयू 

सिमरी बख्तियारपुर : दिनेश चंद्र यादव जदयू 

किशनगंज : डॉ. मुहम्मद जावेद कांग्रेस

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