पुलिसकर्मी के प्रमोशन मामले में सरकार को देना होगा दस हजार हर्जाना, पटना हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

Patna High Court News पुलिसकर्मी के प्रोन्नति मामले में जवाबी हलफनामा दायर नहीं करने पर राज्य सरकार पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। न्यायाधीश पीबी बजनथ्री ने रमाकांत राम की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 08:36 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 08:36 PM (IST)
पुलिसकर्मी के प्रमोशन मामले में सरकार को देना होगा दस हजार हर्जाना, पटना हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार पर दस हजार रुपये हर्जाना लगाया है। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना : पटना हाईकोर्ट ने 20 साल से लंबित एक पुलिसकर्मी के प्रोन्नति मामले में जवाबी हलफनामा दायर नहीं करने पर राज्य सरकार पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। न्यायाधीश पीबी बजनथ्री ने रमाकांत राम की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। मालूम हो कि एकलपीठ ने 18 नवंबर को डीजीपी सह विभागीय प्रोन्नति कमेटी के अध्यक्ष को हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। कोर्ट ने हलफनामा दायर कर स्पष्टीकरण मांगा था कि 23 सितंबर 1998 के प्रभाव से सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नत हुए याचिकाकर्ता 26 सितंबर 1995 के प्रभाव से प्रोन्नति के योग्य थे कि नहीं।

- कोर्ट ने पूछा- याचिकाकर्ता को प्रोन्नत्ति नहीं दी तो क्या थी वजह - बिहार के बंटवारे के बाद झारखंड कैडर का चुनाव किया था पुलिसकर्मी ने - मामले में कोर्ट से चार सप्ताह अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया था

कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए लगाया हर्जाना

एकलपीठ ने डीजीपी बिहार को यह भी जवाब मांगा था कि अगर याचिकाकर्ता को प्रोन्नत्ति नहीं दी तो इसकी वजह क्या थी। याचिकाकर्ता ने 11 दिसंबर 1998 को पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर अपनी याचिका में कहा था कि वह 26 सितंबर 1995 के प्रभाव से प्रोन्नति के योग्य है। इस तिथि से अनुसूचित जाति में आने वाले इसके जूनियरों की प्रोन्नति दी गई थी, जबकि याचिकाकर्ता को तीन वर्षों के विलंब के बाद प्रोन्नति दी गई थी। याचिकाकर्ता बिहार के बंटवारे के बाद झारखंड कैडर का चुनाव किया था और इस तरह से याचिकाकर्ता झारखंड पुलिस का अधिकारी हो गया था। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एसडी यादव ने हलफनामा दाखिल करने के लिए कोर्ट से चार सप्ताह अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया था, इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सरकार पर हर्जाना लगाया।

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