बिहार में सरकार दे रही 12 लाख रुपये तक का अनुदान, किसानों को मिलेगी बड़ी सहूलियत

पटना और मगध प्रमंडल में 25 स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर बनाए जाएंगे। इसमें प्रत्येक किसान को 20 लाख तक के कृषि यंत्र 80 प्रतिशत अनुदान पर दिए जाएंगे। अधिकतम 12 लाख रुपये अनुदान मिलेगा। योजना इसी रबी मौसम से शुरू होगी।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 10:29 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 10:29 PM (IST)
बिहार में सरकार दे रही 12 लाख रुपये तक का अनुदान, किसानों को मिलेगी बड़ी सहूलियत
बिहार सरकार पुआल के लिए मुआवजा दे रही है। सांकेतिक तस्वीर।

रमण शुक्ला, पटना: बिहार में पुआल (फसल अवशेष) प्रबंधन के लिए सरकार किसानों को बड़ी सहूलियत देने जा रही है। पटना और मगध प्रमंडल में 25 स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर बनाए जाएंगे। इसमें प्रत्येक किसान को 20 लाख तक के कृषि यंत्र 80 प्रतिशत अनुदान पर दिए जाएंगे। अधिकतम 12 लाख रुपये अनुदान मिलेगा। योजना इसी रबी मौसम से शुरू होगी। तकनीकी प्रशिक्षण के लिए रबी मौसम में 40 हजार किसानों को राज्य के बाहर और बिहार के विभिन्न जिलों में खेती की बारीकियों को सिखाने-दिखाने और समझाने के लिए परिभ्रमण कराया जाएगा। पुआल प्रबंधन के साथ मौसम अनुकूल खेती का समावेश करने का निर्देश पहले ही दिया गया था। विभाग ने किसी भी यंत्र पर 50 प्रतिशत से अधिक अनुदान देने का फैसला किया है, लेकिन विशेष परिस्थिति में पराली प्रबंधन से जुड़े यंत्रों पर अनुदान बढ़ाया जा सकेगा। लिहाजा यंत्र बैंकों के लिए विभाग ने 80 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था की है। इसी के साथ यांत्रिक प्रशिक्षण के लिए भी किसानों को भेजा जाएगा।

स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर

कृषि विभाग बैंकों के माध्यम से स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर बनाने वाले किसानों को 20 लाख रुपये की लागत से 35 अश्व-शक्ति (हार्स पावर) से अधिक के ट्रैक्टर के साथ हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज सीड ड्रिल और स्ट्राबेलर मशीन अनिवार्य रूप से खरीद करनी होगी। ट्रैक्टर के साथ तीन यंत्र खरीदने वाले किसान इसे किराये पर चला सकेंगे।

हैप्पी सीडर मशीन

खेतों से पुआल को बिना निकाले गेहूं की सीधी बुआई करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने हैप्पी सीडर मशीन को एक समाधान के रूप में निकाला है। यह कृषि-यंत्र पुआल संभालने वाले रोटर व जीरो टिलेज ड्रिल का मिश्रण है। इसमें रोटर पुआल को दबाने का काम करता है। जीरो टिलेज ड्रिल गेहूं की बुआई का काम करती है। इस मशीन में फ्लेल किस्म के ब्लेड लगे होते हैं। ड्रिल की बुआई करने वाले फार के सामने आने वाली पराली को काट कर पीछे की ओर धकेलते हैं। इससे मशीन के फार में पराली नहीं फंसती और बीज को सही ढंग से बिखेरा जा सकता है। यह मशीन 45 हार्स पावर या इससे ज्यादा शक्ति के टै्रक्टर के साथ चलाई जा सकती है।

स्ट्राबेलर मशीन

इसे ट्रैक्टर के पीछे जोड़ा जाता है। कंबाइन से धान व गन्ने की कटाई के बाद खेत में बचे फसल अवशेष को यह मशीन इकट्ठा करती है और उसकी गांठ बनाती है। मुख्य रूप से कुट्टी (चारा), बायोचार खाद के लिए यह उपयोगी है। सुधा डेयरी इसे खरीदती है। यह मशीन ढाई से तीन लाख रुपये में आती है।

जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन

इस मशीन से धान की कटाई के तुरंत बाद खेत से पुआल हटाए बगैर गेहूं की बुआई होती है। बगैर जुते हुए खेत में यह मशीन निश्चित गहराई में मिट्टी के नीचे खाद और बीज को सीधी लाइन में डालने का काम करती है। इस मशीन से एक ही गहराई पर बीज बोने से समय पर अच्छा जमाव होता है। समय की बचत होती है। लाइन में फसल बोने से सिंचाई, निराई और कटाई आदि में आसानी होती है। इस मशीन में बीज बाक्स और खाद बाक्स के अलावा बीज की मात्रा सेट करने वाला लीवर, बीज का आकार सेट करने वाला लीवर, पहिया एवं फार मुख्य भाग है। यह मशीन 50 हजार से लेकर 75 हजार रुपये तक की आती है।

328 कृषि यंत्र बैंक होंगे सृजित

पहले चरण में बिहार के 13 जिलों में सरकार 328 कृषि यंत्र बैंक बनाएगी। इसके लिए अनुदान की राशि अधिकतम आठ लाख रुपये तय है। कृषि विभाग की नई व्यवस्था के तहत यंत्र बैंकों की स्थापना नवादा, कटिहार, बेगूसराय, शेखपुरा, अररिया, खगड़िया, पूर्णिया, औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी जैसे आकांक्षी जिलों में ही होगी। कृषि यंत्र बैंक की स्थापना किसान समूहों के माध्यम से की जाएगी। इसके जरिये सरकार की कोशिश है कि आसपास के किसानों को कृषि उपकरण आसानी से किराये पर उपलब्ध कराया जाए। इससे होने वाली आमदनी भी समूह की ही होगी। कृषि यंत्रों की खरीद पर आने वाली लागत का 80 प्रतिशत तक सरकार देगी। इस योजना से छोटे किसानों को आसानी से कृषि-यंत्र उपलब्ध होगा और समूह की आमदनी भी बढ़ेगी।

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