बिहार: क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट बनवाने वालों के लिए अच्छी खबर, सरकार ने दी प्रमाण पत्र को ले बड़ी राहत

नौकरी के आवेदन करने के लिए क्रीमीलेयर रहित प्रमाण पत्र बनाने में अलग से जाति आवासीय एवं आय प्रमाण पत्र नहीं बनवाना पड़ेगा। अब सीधे क्रीमीलेयर रहित प्रमाण पत्र निर्गत किए जाएंगे। इसमें सभी आवश्यक बिंदु अंकित रहेंगे।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 06:52 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 09:11 PM (IST)
बिहार: क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट बनवाने वालों के लिए अच्छी खबर, सरकार ने दी प्रमाण पत्र को ले बड़ी राहत
क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट बनाने में अब कई डाक्युमेंट नहीं लगाने होंगे। सांकेतिक तस्वीर।

नलिनी रंजन, पटना: नन-क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र बनवाने में वाले आवेदकों के लिए राहत भरी खबर है। अब उन्हें किसी प्रकार की नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए नन-क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र बनाने में अलग से जाति, आवासीय एवं आय प्रमाणपत्र नहीं बनवाना पड़ेगा। नन-क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट प्रमाणपत्र सीधे निर्गत किए जाएंगे। इसमें सभी आवश्यक बिंदु अंकित रहेंगे। यही नहीं इसमें उनके माता पिता के वेतन या पेंशन से जुड़ी आय व कृषि से होने वाली आय को नहीं जोड़ा जाएगा। 

केंद्र सरकार के नन- क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र बनाने में निर्देश का पालन नहीं होने पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा स्पष्टीकरण पूछे जाने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी डीएम, प्रमंडलीय आयुक्त, चयन आयोग, अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव व सचिव को स्पष्टीकरण पत्र भेजा है। राजकीय अतिथिशाला में शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डा. भगवान लाल सहनी ने बताया कि अभ्यर्थियों को नन-क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र बनाने से पहले जाति प्रमाणपत्र, आवासीय प्रमाणपत्र एवं आय प्रमाणपत्र बनवाना पड़ता है। इस कारण उन्हें काफी परेशानी हो रही थी। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद भी प्रमाणपत्र में पिता के वेतन-पेंशन एवं कृषि से होने वाली आय को जोड़ दिया जाता था। सरकार ने आयोग को पत्र भेजा है जिसमें अब अलग से केवल नन-क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र जारी करने एवं इसमें माता-पिता व कृषि से होने वाली आय को नहीं जोडऩे से संबंधित पूर्व से जारी पत्र का अलग से स्पष्टीकरण पत्र सभी डीएम व अधिकारियों को भेजा गया है। 

राजस्थान के एक मामले में कहा कि वहां आरक्षण को लेकर काफी गड़बड़ी है। वहां के सात जिलों में पिछड़ा वर्ग को किसी तरह का आरक्षण नहीं दिया जाता है। मामले में मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया है, इसके बाद भी सुधार नहीं किया गया है। जबकि बिहार सरकार ने कहने के एक दिन बाद ही निर्देश जारी कर दिया। इस दौरान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य आचारी तल्लोजु, सलाहकार राजेश कुमार, निदेशक राम राज यादव भी थे। 

बिहार में कोडिंग प्रणाली से नहीं होता है भेदभाव 

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भगवान लाल सहनी ने कहा कि बिहार में परीक्षा, साक्षात्कार व अन्य नियुक्ति प्रक्रिया में कोडिंग सिस्टम है। इसमें नाम व जाति का कोई उल्लेख नहीं होता है। इससे छात्रों को न्याय मिलता है। किसी तरह का भेदभाव नहीं होता है। यह व्यवस्था पूरे देश में लागू होनी चाहिए। बिहार में बीपीएससी व अन्य आयोग की ओर से होने वाली नियुक्ति को लेकर कहा कि संघ लोक सेवा आयोग व विभिन्न राज्यों के आयोग में प्रतीक्षा सूची जारी की जाती है। ऐसे में बीपीएससी को भी प्रतीक्षा सूची जारी करनी चाहिए। इससे मेरिट के आधार पर हर वर्ग के छात्रों को न्याय मिलता है। प्रतीक्षा सूची जारी नहीं कर सीट को बैकलाग करा दिया जाता है। यह पूरी तरह से अन्याय है। रोस्टर बनाने की प्रक्रिया बहुत कम जानते हैं या जानते भी हैं तो रोस्टर रजिस्टर सही से मेंटेन नहीं करते हैं। 

chat bot
आपका साथी