सरस मेला में बहुआयामी संस्कृति की झलक

जीविका की ओर से गांधी मैदान में आयोजित सरस मेला अब अपने समापन की ओर अग्रसर है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 01:27 AM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 06:08 AM (IST)
सरस मेला में बहुआयामी संस्कृति की झलक
सरस मेला में बहुआयामी संस्कृति की झलक

पटना। जीविका की ओर से गांधी मैदान में आयोजित सरस मेला अब अपने समापन की ओर अग्रसर है। एक जनवरी से लगे मेले में अब सिर्फ तीन दिन शेष बचे हैं। मेले में आने वाले लोगों को न सिर्फ विविध किस्म के हस्तशिल्प, वस्त्र, अचार, फर्नीचर, खादी के परिधान, चूड़ा, कतरनी चावल, माउथ ऑर्गन जैसे चीजें लोगों को आकर्षित कर रही हैं, बल्कि सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए आनंदित होने का मौका भी मिल रहा है। मेले में बुधवार तक 95 लाख 81 हजार रुपये के उत्पादों की बिक्री हुई है। अब तक छह करोड़ से अधिक के उत्पादों की बिक्री हो चुकी है।

सरस मेला के मुख्य मंच पर गुरुवार को राजधानी की संस्था 'कला संग्रह' से जुड़े कलाकारों ने लोक गीतों और गजलों की प्रस्तुति दी। 'कौन दिशा में लेके चला रे बटोहिया..', 'दमादम मस्त कलंदर..', 'चांदी जैसा रूप है तेरा..' जैसे सदाबहार गानों पर कलाकारों ने जमकर धूम मचाई। कलाकारों में सत्य प्रकाश गुप्ता, क‌र्त्तव्य मौर्य, हरि किशोर, सपना कुमारी, अंजू कुमारी ने प्रस्तुति दी। संगत कलाकारों में राजन, भोला और शिवनाथ रहे।

दूसरी तरफ, विकास प्रबंधन संस्थान द्वारा सरस मेला परिसर में गंगा आरती की प्रस्तुति दी गई। संस्थान में प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने जल संरक्षण, महिला सशक्तीकरण, स्वच्छ भारत अभियान, बाल मजदूरी और बाल विवाह जैसे विषयों पर प्रस्तुति दी गई। जागरुकता अभियान में रमण कुमार, दिवेश कुमार, सुरभि सावर्ण, स्मृति, अभिषेक आदि शामिल थे। इसके अलावा परिसर में हर रोज नुक्कड़ नाटक के जरिए सामाजिक विषयों को उठाया जा रहा है।

सरस मेले में आज

सरस मेले में शुक्रवार को यूथ रैंप शो का आयोजन किया जाएगा। इसका मकसद बिहार राज्य के पारंपरिक परिधानों को प्रोत्साहित करना है। जीविका के 'स्टार्टअप ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम' के तहत 'सूचना, संचार एवं तकनीक' विषय पर कार्यशाला आयोजित की जाएगी।

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