कूड़ा सड़क पर हो कम, इस लिए दम दिखाएगा पटना निगम; जानें कैसे बदलेगी शहर की सूरत

पटना नगर निगम क्षेत्र में कचरा उठाव की व्यवस्था पटरी पर लाने की तैयारी है। भले ही राजधानी में वाहनों द्वारा डोर-टू-डोर कचरा उठाव की सुविधा है कई जगहों पर फेंका हुआ कचरा दिख जाता है। इसके लिए कई स्तर से बदलाव होंगे।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 11:51 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 11:51 AM (IST)
कूड़ा सड़क पर हो कम, इस लिए दम दिखाएगा पटना निगम; जानें कैसे बदलेगी शहर की सूरत
पटना नगर निगम क्षेत्र में कचरा उठाव की व्यवस्था पटरी पर लाने की तैयारी है।

मृत्युंजय मानी, पटना। पटना नगर निगम क्षेत्र में कचरा उठाव की व्यवस्था पटरी पर लाने की तैयारी है। भले ही राजधानी में वाहनों द्वारा डोर-टू-डोर कचरा उठाव की सुविधा है, कई जगहों पर फेंका हुआ कचरा दिख जाता है। एक काम के लिए निगम को मैनपावर और संसाधन का दोबारा इस्तेमाल करना पड़ रहा है। इससे आॢथक नुकसान तो है ही, शहर स्वच्छ नहीं हो पा रहा है। यही कारण था कि राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में पटना देश के सबसे गंदे शहर की श्रेणी में आ गया। 10 लाख से अधिक आबादी वाले 47 नगर निगम के बीच प्रतिस्पर्धा हुई थी। पटना का स्थान 47वां रहा था। इस दाग को धोने में निगम जुटा हुआ है। 2021 का स्वच्छता सर्वेक्षण चल रहा है। निगम पूरी तैयारी से जुटा है। इस बार भले ही पटना टॉप टेन में न आ पाए, उम्मीद की जा रही है कि प्रदर्शन 2020 से बेहतर रहेगा। 

आंकड़ों में निगम के संसाधन

कुल सफाईकर्मी : 8592

(दैनिक वेतनभोगी - 4240, एजेंसी कर्मी - 2824, नियमित सफाईकर्मी - 1528)

- 2017 में सफाईकर्मियों की संख्या - 6000

- 2018 के अंत में 375 डोर टू डोर वाहन आए

- 375 सेक्टरों को एक-एक डोर-टू-डोर वाहन मिला

- प्रतिदिन औसतन 20 डोर-टू-डोर वाहन तकनीकी खराबी के कारण बंद रहते हैं

- 60 डोर-टू-डोर वाहन और 150 ई-रिक्शा खरीदने का आदेश जारी

- 400 कूड़ा डंप केंद्र थे 2018 के पहले शहर में। गलियों में चलना मुश्किल था। बदबू से लोग परेशान रहते थे। 

- अब घर-घर से सूखा और गीला कचरा अलग-अलग संग्रह करने की प्रक्रिया चल रही है। 

- निगम के सभी अंचलों में गीला कचरा प्रबंधन का कार्य शुरू हो गया है। 

- सुबह 06:00 बजे से उठने लगता है कचरा

- स्थायी रूप से सेकेंड्री कूड़़ा प्वाइंट तैयार नहीं होने से परेशानी 

- जनसंख्या :  20 लाख से अधिक

- 2011 में जनसंख्या : 16 लाख

- हाउसहोल्ड : 05 लाख से अधिक

- होल्डिंग टैक्सधारक : 2.56 लाख

- कचरा उत्पादन : 1000 टन

- कचरा उठाव के लिए सेक्टर : 375

- प्रत्येक सेक्टर में वाहन : 01

- वाहन : बॉक्स टिपर- 375 , ओपन टिपर- 155 , ई-कार्ट टिपर- 182, हाइवा- 119, जेसीबी-75, रोबोट बॉब कट- 75 

- बाक्स टिपर-  प्रत्येक सेक्टर में दो से तीन ट्रिप प्रतिदिन

- प्रत्येक टिपर में गीला-सूखा कचरा डालने के लिए अलग-अलग डिब्बा

: दंड लगाने की व्यवस्था :

-300 रुपये - गली एवं सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फैलाने पर 

- 450 रुपये - दुकानदारों द्वारा सड़क एवं सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फैलाने पर 

- 700 रुपये - रेस्त्रां द्वारा गंदगी फैलाने पर

- 1000 रुपये - होटल द्वारा खुले स्थलों पर कचरा फैलाने पर 

- 2000 रुपये - औद्योगिक संस्थानों द्वारा कचरा डंप करने पर 

- 200 रुपये - मिठाई विक्रेता, चाट, पकौड़ा, गोलगप्पा, फास्ट फूड, आइसक्रीम स्टॉल, गन्ना-फल जूस विक्रेता, सब्जी एवं फल विक्रेता (सभी फुटपाथ पर ठेला) भोजनालय आदि

- 500 रुपये - दुग्ध डेयरी (पशुपालकों) द्वारा गाय के गोबर एवं अन्य पदार्थों को खुले स्थल पर रखने पर 

- 1500 रुपये - निर्माण सामग्री एवं मलबा रखने पर 

- 1000 रुपये - मांस विक्रेता एवं अंडा विक्रेता द्वारा पशु का खून, हड्डी, पंख, चमड़ा फेंकने पर

- 100 रुपये : यत्र-तत्र पान, गुटखा इत्यादि थूकने एवं मल-मूत्र त्याग करने पर  

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