कोरोना के 'मददगार' ठगों से बचकर रहें मरीज और स्वजन, पटना में लगातार सामने आए कई मामले
साइबर ठग कोरोना वॉरियर्स बनकर कम कीमत पर सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करते हैं और बदले में एडवांस पैसे अकाउंट में मांगते हैं। एक बार पैसे मिलते ही यह अपना मोबाइल नंबर बदल लेते हैं और फिर दूसरे नंबर से ठगी शुरू कर देते हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर, प्लाज्मा और रेमडेसिविर दवा उपलब्ध कराने के नाम पर ठगी का धंधा भी शुरू हो गया है। ये साइबर ठग 'कोरोना वॉरियर्स' बनकर कम कीमत पर सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करते हैं और बदले में एडवांस पैसे अकाउंट में मांगते हैं। एक बार पैसे मिलते ही, यह अपना मोबाइल नंबर बदल लेते हैं और फिर दूसरे नंबर से ठगी शुरू कर देते हैं। साइबर अपराधियों के ठगी के इस खेल में इंटरनेट मीडिया बड़ा माध्यम बन रहा है।
इंटरनेट के जरिये बना रहे शिकार
इंटरनेट मीडिया पर कई युवा अच्छी नीयत से कोरोना मरीजों के लिए मदद की अपील कर रहे। इसके लिए मरीज और अस्पताल के नाम के साथ परिजनों का मोबाइल नंबर भी शेयर किया जा रहा। शातिर ठग इन फेसबुक पोस्ट का ही इस्तेमाल कर रहे। वह इन नंबरों पर फोन कर खुद को कोरोना वॉरियर्स बता रहे ताकि आसानी से भरोसा जीत सकें। ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाओं की किल्लत बताकर बदले में पैसों की ठगी कर रहे।
चार-पांच गुना कीमत पर कालाबाजारी भी
इंटरनेट मीडिया पर मदद की अपील कर जारी किए गए नंबरों का इस्तेमाल कालाबाजारी के लिए भी हो रहा है। इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर रेमडेसिविर दवा का अवैध स्टॉक रखने वालों को सीधे जरूरतमंदों का मोबाइल नंबर मिल जा रहा। वे खुद मरीज के स्वजनों के नंबरों पर कॉल कर चार से पांच गुना अधिक कीमत वसूल रहे। ऐसे कालाबाजारियों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है।
डेढ़ दर्जन से अधिक गिरफ्तारी
ऑक्सीजन सिलेंडर, दवा आदि की कालाबाजारी करने वालों और साइबर ठगों के निबटने के लिए आर्थिक अपराध इकाई ने दो विशेष टीमें बनाई गई हैं। पिछले तीन-चार दिनों में ईओयू की टीम ने डेढ़ दर्जन से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार भी किया है। इनमें सबसे अधिक साइबर अपराधी नालंदा, नवादा और शेखपुरा से पकड़े गए हैं। इनके पास से कई मोबाइल सेट और सिम भी बरामद किए गए हैं।
केस-1 : पटना में एक शिक्षक को अपने रिश्तेदार के लिए प्लाज्मा की जरूरत पड़ी। इंटरनेट मीडिया पर गुहार लगाई। वहां से मदद के नाम पर मिले मोबाइल पर संपर्क किया। प्लाज्मा के बदले 20 हजार रुपये एडवांस मांगे गए। एडवांस राशि लेकर भी प्लाज्मा नहीं दिया गया। मोबाइल ऑफ है।
केस-2 : राजीवनगर के एक शख्स ने रेमडेसिविर दवा के लिए पोस्ट डाला। इसमें मरीज का नाम और अस्पताल के साथ परिजन का नंबर भी था। थोड़ी देर बाद ही परिजन के पास फोन आया और 25 हजार प्रति पीस दवा देने की बात कही गई। पांच हजार एडवांस मांगे और फिर मोबाइल ऑफ कर लिया गया।
ऐसे बचें साइबर ठगी से इंटरनेट मीडिया पर मदद की गुहार लगाते समय अपना मोबाइल नंबर जारी न करें। विश्वसनीय लोगों से ही मोबाइल का नंबर शेयर करें। ऑक्सीजन सिलेंडर और जरूरी दवाएं उपलब्ध कराने का दावा करने वाले लोगों पर भरोसा न करें। सामान लेने के बाद ही भुगतान करें।
इन नंबरों पर करें शिकायत
साइबर ठगी या कालाबाजारी की शिकायत के लिए आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) का कंट्रोल रूम 24 घंटे काम कर रहा है। यहां आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
0612-2215142, 8544428427