भवन निर्माण से जुड़े मेगा प्रोजेक्ट की मानिटरिंग को चार उड़नदस्ते गठित, किया जाएगा औचक निरीक्षण
अब सीधे एक-दो नहीं चार-चार उड़न दस्ते की निगाहें रहेंगी। गुणवत्ता जांच में निपुण ये उड़न दस्ते करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाले मेगा प्रोजेक्ट का औचक निरीक्षण करने को स्वतंत्र होंगे। ये भवन निर्माण विभाग के मेगा प्रोजेक्ट में है।
राज्य ब्यूरो, पटना: भवन निर्माण विभाग के मेगा प्रोजेक्ट पर अब सीधे एक-दो नहीं चार-चार उड़न दस्ते की निगाहें रहेंगी। गुणवत्ता जांच में निपुण ये उड़न दस्ते करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाले मेगा प्रोजेक्ट का औचक निरीक्षण करने को स्वतंत्र होंगे। जांच में देखेंगे कि भवन निर्माण में गुणवत्ता से कोई समझौता तो नहीं हो रहा या फिर निर्माण में विलंब की आशंका तो नहीं।
भवन निर्माण विभाग राज्य में करीब दर्जन भर ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जिनकी लागत करोड़ों में हैं। ऐसे भवनों में 640 करोड़ की लागत से पटना में बनने वाली एपीजे अब्दुल कलाम साइंस सिटी, साढ़े छह सौ करोड़ रुपये की लागत से राजगीर में बनने वाली अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम सह स्पोर्ट्स एकेडमी, 300 करोड़ रुपये की लागत से वैशाली में बन रहे बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय, 443 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले आफिसर्स रेजिडेंट के अलावा बोधगया का 145 करोड़ की लागत वाला कल्चर सेंटर, करीब 84 करोड़ रुपये की लागत से पटना में बनने वाला बापू टावर शामिल है।
विभाग के सूत्रों ने बताया कि यह मेगा प्रोजेक्ट सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट हैं। ये भवन तय समय सीमा में बने और इनके निर्माण की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर की हो सरकार की यह प्राथमिकता है। बीते दिनों भवन निर्माण विभाग में उच्चस्तरीय बैठक में मेगा प्रोजेक्ट की मानिटरिंग के लिए अलग-अलग उडऩ दस्ते गठन की मांग उठी। पूर्व में दो दस्ते गठित थे। बैठक के प्रस्ताव के बाद विभाग ने दो नए दस्ते गठन का प्रस्ताव भी मंजूर कर दिया है। विभाग की आधिकारिक जानकारी के अनुसार एक उड़न दस्ते की कमान मुख्य अभियंता उत्तर रामसागर प्रसाद को सौंपी गई है। जबकि वरूण कुमार, रेजा तारिस वारसी को तीसरे और संतोष कुमार जो कि भवन निर्माण विभाग के निदेशक हैं उन्हें सौंपी गई है। ये चारो उडऩ दस्ते अपने कार्यों के अतिरिक्त प्रत्येक सप्ताह किसी ना किसी मेगा प्रोजेक्ट का औचक निरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट प्रधान सचिव को सौंपेंगे। आवश्यकता होने पर उडऩ दस्ते निर्माण से जुड़े नमूना संग्रहण करेंगे और उन्हें प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज सकेंगे।