कांग्रेस नेता राहुल गांधी से बोले बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी- दर्ज कराएं FIR, अदालत क्यों नहीं जाते?

पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने एकबार फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला किया है। कहा कि पेगासस जासूसी मामले में कोई सच्चाई नहीं। यदि राहुल गांधी को लगता है कि उस पर निगरानी रखी जा रही है तो उन्हें प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 09:29 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 09:29 PM (IST)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी से बोले बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी- दर्ज कराएं FIR, अदालत क्यों नहीं जाते?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी। जागरण आर्काइव.

राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि पेगासस जासूसी मामले में कोई सच्चाई नहीं। लेकिन यदि राहुल गांधी या किसी नागरिक को लगता है कि उस पर निगरानी रखी जा रही है, तो उन्हें आइटी कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए। राहुल गांधी इस मुद्दे पर बयानबाजी और गृह मंंत्री का इस्तीफा मांगने की सतही राजनीति करने के बजाय पुख्ता सुबूत के साथ अदालत क्यों नहीं जाते? 

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वर्ष 2019 में भी फोन टैपिंग का मामला उठाया गया था, लेकिन वह फुस्स हो गया। एनडीए सरकार में देश की सीमाएं, लोकतंत्र और नागरिकों की निजता पूरी तरह सुरक्षित है। आतंकवाद पर नरमी और भ्रष्टाचार-घोटालों में तेजी के चलते सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अब तक या तो बिना सबूत के आरोप लगा कर अपनी भद पिटवायी या ऐसे बयान दिये, जो पाकिस्तान, चीन और देश के भीतर सक्रिय भारत विरोधी ताकतों को पसंद आए। उन्होंने राफेल विमान सौदे में घोटाले का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चोर तक कहा, लेकिन इस अनर्गल बयान के लिए उन्हेंं सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी। बता दें कि एक दिन पहले राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने पेगासस मामले में मामला बनर्जी की पार्टी टीएमसी को घेरा था। उन्होंने कहा था कि सरकार का जवाब सुनने की बजाय टीएमसी सांसद ने आइटी मंत्री के हाथ से कागज छीन कर अपनी पार्टी के उस गुंडा चरित्र को फिर उजागर किया, जिसके कारण पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद व्यापक हिंसा हुई, दर्जनों भाजपा कार्यकर्ता या उनके परिजन मारे गए और सैंकड़ों लोगों को जान बचाने के लिए बंगाल से पलायन करना पड़ा। ममता बनर्जी राज्य-संरक्षित हिंसा के बल पर मानवाधिकार और लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं।

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