Bihar Good News: बिहार के नालंदा में आम के बागों से किसान बाग-बाग, ग्रामीणों ने बनाया है यह नियम

Bihar Good News नालंदा के अस्‍थावां स्थित खेतलपुरा गांव में पूर्वजों की रीति-नीति को नई पीढ़ी आज भी सम्मान देती है। वर्षों पहले बनाए गए नियम को आज भी लोग मान रहे हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 04:08 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 04:08 PM (IST)
Bihar Good News: बिहार के नालंदा में आम के बागों से किसान बाग-बाग,  ग्रामीणों ने बनाया है यह नियम
Bihar Good News: बिहार के नालंदा में आम के बागों से किसान बाग-बाग, ग्रामीणों ने बनाया है यह नियम

नालंदा, राकेश कुमार। नालंदा के अस्‍थावां स्थित खेतलपुरा गांव में पूर्वजों की रीति-नीति को नई पीढ़ी आज भी सम्मान देती है। उदाहरण के तौर पर पूर्वजों ने नियम बनाया कि जमीन का 25 परसेंट हिस्सा बाग-बगीचे को देना है और फलदार पेड़ लगाने हैं। खेतलपुरावासी इस परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं। पूरा गांव बाग-बाग है और अर्थव्यवस्था भी सुधर रही है। यहां के किसानों ने पूर्वजों की नर्सरी भी विकसित कर ली है, जिससे आसपास के लोग यहां आम के पौधे खरीदने आते हैं। फल तोडऩे और पैकिंग के रूप में रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं। 

आम की कई किस्में

बरबीघा मिशन चौक के दक्षिण 1200 बीघा रकबा वाले खेतलपुरा के उप मुखिया उपेंद्र सिंह बताते हैं कि गांव के कुल रकबा में से तीन सौ बीघा जमीन पर आम के बगीचे सुशोभित हैं। गांव का शायद ही कोई किसान होगा, जिसके पास चार पेड़ आम के न हों। नालंदा और शेखपुरा जिले के किसी और गांव में इतने बड़े क्षेत्रफल में आम के बाग नहीं हैं। गांव के गणेश ङ्क्षसह, नरेंद्र ङ्क्षसह, भोला ङ्क्षसह, रामाश्रय ङ्क्षसह बताते हैं कि यहां मालदह की कई प्रजाति हैं। मिठुआ, बंबइया, शुकुल, कृष्णभोग, गुलाबखास व मल्लिका के अलावा  बारहमासी (साल भर फलने वाला) आम के पेड़ भी हैं। 

नर्सरी में 50 हजार पौधे

यहां के किसान इतने दक्ष हो चुके हैं कि आम के पौधों की अपनी नर्सरी भी तैयार कर ली है। आसपास के क्षेत्र में यह आम के पौधों की एकमात्र नर्सरी है। तैयार एक पौधा की कीमत किसानों को डेढ़ से दो सौ रुपये तक मिल जाते हैं।  करीब पचास हजार पौधे की बिक्री हर साल होती है।

कोरोना काल में भी रोजी

लॉकडाउन में जहां हर व्यापार मंदी का शिकार हुआ, खेतलपुरा के किसान आम के बगीचे के कारण बाग-बाग हैं। फल तोडऩे के बदले 10 फल पर एक आम की मजदूरी मिलती है। पैङ्क्षकग के लिए दस रुपये प्रति पेटी पारिश्रमिक तय है। किसान बताते हैं कि प्रतिदिन औसत छह सौ क्विंटल आम की बिक्री हो रही है। खेतलपुरा में हर घर के चलन में रिश्तेदारों को आम भेजना शामिल है। 

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