पटना के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में बढ़ाई जाएंगी सुविधाएं, डायलिसिस के लिए बढ़ाए जाएंगे बेड
पटना के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में बनेगा नया भवन बढ़ेगी डायलिसिस बेड की बढ़ेगी संख्या प्रधान सचिव नए भवन निर्माण के लिए कर चुके हैं आश्वस्त डायलिसिस के अलावा शहर के बीचोेबीच अन्य उपचार सुविधाओं में होगी वृद्धि
पटना, जागरण संवाददाता। राजधानी पटना के बीचोबीच स्थित न्यू गार्डिनर रोड इंडोक्राइन सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल (New Gardiner Road Endocrine Super Specialty Hospital) में जल्द ही डायलिसिस समेत अन्य सुविधाओं में इजाफा हो सकता है। इसके लिए नए भवन के निर्माण को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने मौखिक आश्वासन दे दिया है। जल्द इस भवन के निर्माण के लिए आवश्यक राशि का आवंटन किया जाएगा।
हर जिले में डायलिसिस की सुविधा बहाल करने पर जोर
बताते चलें कि भारत सरकार ने वर्ष 2016-17 के बजट में जिस राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम की शुरुआत की थी। राज्य सरकार इस वर्ष उसे हर जिले तक पहुंचा देगी, यही नहीं जिन सेंटर पर रोगियों की संख्या ज्यादा है, वहां बेड की सुविधा भी बढ़ाई जाएगी। हालांकि, पुराने भवन में जगह की कमी को देखते हुए यहां डायलिसिस समेत अन्य उपचार सुविधाएं नहीं बढ़ाई जा सकती है।
फाइलेरिया विभाग और ड्रग विभाग का भवन तोड़ने की तैयारी
हाल ही में प्रधान सचिव ने तीनों सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशकों की बैठक बुलाई थी। उस समय यह निर्णय लिया गया था कि न्यू गार्डिनर अस्पताल परिसर में कर्मचारियों के जो आवास बने हैं और जिसमें फाइलेरिया और ड्रग विभाग का जो कार्यालय है, उसे तोड़कर नया भवन बनाया जाएगा। उसमें वर्तमान हॉस्पिटल को स्थानांतरित करने के बाद मुख्य भवन में नया भव्य भवन बनाया जाएगा।
मॉडल वैक्सीनेशन सेंटर बनाने की भी तैयारी
इसके बाद यहां पैथोलॉजी, अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्सरे, मॉडल वैक्सीनेशन सेंटर के अलावा व्यवस्थित ओपीडी, मरीजों को भर्ती करने के लिए वार्ड, हार्ट, नेत्र, न्यूरोपैथी जांच आदि की उचित व्यवस्था की जा सकेगी। निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि प्रधान सचिव ने अस्पताल के विकास के लिए भवन निर्माण समेत अन्य तमाम सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।
क्यों है डायलिसिस सेंटर खोलने की जरूरत
प्रदेश में किडनी रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। सामान्यत: किडनी फेल्योर हर रोगी को सप्ताह में दो से तीन बार डायलसिस करानी पड़ती है। एक बार डायलिसिस में डेढ़ से दो हजार रुपये तक खर्च आता है। इस प्रकार साल में तीन से चार लाख तक का खर्च होता है। वहीं तमाम ऐसे जिले हैं जहां इसकी सुविधा तक नहीं है। इस कारण भारत सरकार ने पानी से होनी वाली डायलिसिस को राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल किया था। इसके बाद अब तक प्रदेश के 17 जिलों में डायलिसिस की सुविधा शुरू हो चुकी है। इस बजट में शेष 21 जिलों में यह सुविधा शुरू करने के लिए धनराशि का आवंटन किया गया है। इससे गरीब रोगियों को काफी राहत होगी।