बिहार का एक ऐसा नेता जिसके इशारे पर नाचती थी दिल्‍ली की सियासत, फिर भी नहीं जानते होंगे आप

मतंग सिंह के रसूख का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्‍हें यूपीए सरकार के दौरान जेड प्‍लस सिक्‍योरिटी कवर मिला था। 36 कमांडो और 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी उनके साथ रहते थे। लेकिन शारधा चिट फंड घोटाले में नाम आने के बाद सब कुछ बदल गया।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 12:16 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 12:16 PM (IST)
बिहार का एक ऐसा नेता जिसके इशारे पर नाचती थी दिल्‍ली की सियासत, फिर भी नहीं जानते होंगे आप
पीवी नरसिंह राव, मतंग सिंह और चंद्रास्‍वामी। फाइल फोटो

पटना, ऑनलाइन डेस्‍क। Bihar Politics: बिहार की जमीन राजनीतिक रूप से काफी उर्वर मानी जाती है। बिहार ने देश को पहला राष्‍ट्रपति दिया, अनेकों बार रेल मंत्री दिया। बिहार की राजनीति में सिक्‍का जमाने वाले राजद के लालू प्रसाद यादव देश का प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए। राज्‍य के मौजूदा मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का नाम भी प्रधानमंत्री की दौड़ में आ चुका है। बिहार के लोगों का राजनीति से इतना गहरा रिश्‍ता है कि पटना और दिल्‍ली ही नहीं, वे जहां भी रहते हैं अपना सिक्‍का जमा लेते हैं। मॉरिशस और त्रिनिदाद तक इसके उदाहरण भरे पड़े हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही नेता के बारे में कई दिलचस्‍प किस्‍से बताएंगे जो रहने वाला तो बिहार का था, लेकिन उसकी राजनीति असम के तिनसुकिया से लेकर गुवाहाटी और दिल्‍ली के राज दरबार तक चमकती रही।

छपरा के रहने वाले मतंग सिंह ने असम से दिल्‍ली तक लहराया परचम

हम बात कर रहे हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मतंग सिंह की, जिनका निधन गुरुवार को हो गया। वे  सारण जिले के तरैया प्रखंड के आकुचक गांव के मूल निवासी थे। मतंग सिंह असम की राजनीति में बड़ा चेहरा बन कर उभरे थे। पीवी नरसिंह राव सरकार में जब उन्‍हें संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनाया गया तो पूरे देश के लोगों ने उन्‍हें जाना। नरसिंह राव की सरकार में उनकी ताकत और हैसियत अचानक बढ़ी।

चंद्रास्‍वामी से था निकट संबंध, उन्‍हीं की वजह से मिली केंद्र सरकार में जगह

मशहूर तांत्रिक चंद्रास्‍वामी ने मतंग सिंह की सियासी संभावना को पहचाना था और उन्‍होंने ही पीवी नरसिंह राव की कांग्रेस सरकार में उनको जगह दिलाई। मतंग को पीएमओ से जुड़ा मंत्रालय मिला वे प्रधानमंत्री के खासमखास बन गए। वे कई मौके पर नरसिम्‍हा राव के लिए संकट मोचक की भूमिका में भी रहे।

शारदा चिट फंड घोटाले के बाद दोबारा आए फलक पर

पीवी नरसिंह राव की सरकार चली गई तो मतंग सिंह की राजनीति भी धीरे- धीरे सुस्‍त पड़ गई। लेकिन पीएमओ का मंत्रालय संभालते हुए उन्‍होंने जो पकड़ सिस्‍टम और अफसरशाही पर बनाई, उसका फायदा आखिर तक उठाते रहे। इसका लाभ लेकर उन्‍होंने अपर असम के तिनसुकिया से गुवाहाटी और पश्‍चिम बंगाल के कोलकाता से देश की राजधानी दिल्ली तक लिया। शारधा चिट फंड घोटाला सामने आया तो मतंग सिंह का नाम एक बार फिर लोगों ने जाना।

मतंग की वजह से केंद्रीय गृह सचिव को गंवाना पड़ा था पद

मतंग सिंह का नाम शारधा चिट फंड घोटाले में आने के बाद उन्‍हें गिरफ्तारी से बचाने की कोशिश करने वाले तत्‍कालीन केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्‍वामी को अपना पद गंवाना पड़ा था। बाद में मतंग सिंह भी गिरफ्तार हुए। कहा जाता है कि न सिर्फ ब्‍यूरोक्रेसी बल्कि सीबीआइ और अर्धसैनिक बलों में भी उनके लिए काम करने वाले अधिकारी मौजूद थे।

यूपीए की सरकार में मिला जेड प्‍लस सिक्‍योरिटी कवर

मतंग सिंह के रसूख का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्‍हें यूपीए सरकार के दौरान जेड प्‍लस सिक्‍योरिटी कवर मिला हुआ था। 36 कमांडो और 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी उनके साथ तैनात रहते थे। लेकिन शारधा चिट फंड घोटाले में नाम आने के बाद सब कुछ बदल गया।

तिनसुकिया से हुई राजनीतिक जीवन की शुरुआत

मतंग सिंह की राजनीति असम के ही तिनसुकिया जिले से शुरू हुई। इसे मिनी बिहार भी कहा जाता है। अब यहां बिहारियों की तादाद पहले से कम हो गई है, लेकिन एक वक्‍त था कि यहां से बिहारी ही विधायक और मंत्री लगातार बनते थे। इसी सीट से विधायक और असम सरकार में परिवहन मंत्री रहे शिव शंभू ओझा मूलत: बिहार के भोजपुर (आरा) जिले के रहने वाले थे। इस बार लालू प्रसाद यादव की पाटी राजद ने इसी सीट से हीरा देवी चौधरी, जो मूलत: बिहार के भागलपुर की रहने वाली हैं, और शादी के बाद असम शिफ्ट हुईं, को अपना उम्‍मीदवार बनाया था। हालांकि वह चुनाव हार गईं।

तेजी से चढ़े राजनीति के शीर्ष पर

असम में कई पुराने लोग बताते हैं कि मतंग सिंह ने असम में कोयला माफिया के साथ जुड़कर अपनी ताकत बढ़ाई। बाद में वे कांग्रेस से जुड़ गए। 1990 से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत मानी जाती है। तब तक वे अच्‍छी-खासी दौलत जुटा चुके थे। 1991 में उन्‍हें असम कांग्रेस मजदूर सेल का अध्‍यक्ष बनाया गया। राजीव गांधी से नजदीकी संबंध होने का दावा वे खुद करते थे। 1992 में कांग्रेस ने उन्‍हें असम से राज्‍यसभा में भेज दिया।

नरसिंह राव की सरकार में देखते ही बनता था जलवा

राजीव गांधी के बाद पीवी नरसिंह राव को कांग्रेस में पकड़ मजबूत बनाने में मतंग सिंह का खूब सहयोग मिला। तांत्रिक चंद्रास्‍वामी की वजह से दोनों करीब आए। इसके बाद नरसिंह राव ने उन्‍हें अपनी सरकार में मंत्री बनाया। वे 1994 से 1998 तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। राव की सरकार के दौरान दिल्‍ली के सियासी गलियारे में उनका जलवा हुआ करता था। नेता, मंत्री और अफसरों की सेटिंग करने -कराने और बिगाड़ने को लेकर उनका नाम चर्चा में रहा। राव की सरकार जब कभी मुसीबत में आई, मतंग ने सेटिंग में अहम भूमिका अदा की।

सोनिया गांधी पर टिप्‍पणी के बाद कांग्रेस से निकाले गए

दावा किया जाता है कि एक इंटरव्‍यू में कांग्रेस की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष सोनिया गांधी पर टिप्‍पणी के बाद 1998 में मतंग सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया। हालांकि वे हमेशा खुद को कांग्रेसी ही लिखते और बताते रहे। यह काफी हद तक सही था, क्‍योंकि मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार ने बिना किसी महत्‍वपूर्ण पद पर होते मतंग को जेड प्‍लस सिक्‍योरिटी दे रखी थी। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में एनडीए की सरकार बनते ही यह सुरक्षा कवर हटा लिया गया।

असम में ही हुआ था मतंग सिंह का जन्‍म

मतंग सिंह का जन्‍म असम के ही तिनसुकिया जिले में हुआ था। उनका जन्‍म 1962 में हुआ था। उनके पिता का नाम एसपी सिंह और माता का नाम रानी रुक्मिनी सिंह था। हालांकि कुछ लोग उनका जन्‍म बिहार के उनके गांव में भी होने का दावा करते हैं। दरअसल असम में मूल निवासी और बाहरी का विवाद इतना अधिक रहा है कि वहां रहने वाले बिहारियों को हमेशा यह साबित करना पड़ता है कि वे यहीं के रहने वाले हैं। वे असम में कई मीडिया कंपनियों और होटलों के मालिक थे।

पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे मतंग

बताया जा रहा है कि मतंग सिंह पिछले कुछ महीनों से बीमार थे। उनके निधन पर बिहार के सारण (छपरा) जिले के कई राजनेताओं ने शोक जताया है। सारण के भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी, महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और बनियापुर विधायक केदारनाथ सिंह आदि ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

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