पूर्व बांका एडीएम ने किया सरेंडर, भेजा गया जेल

सीमेंट घोटाला मामले में निगरानी की विशेष अदालत में 70 वर्षीय पूर्व बांका एडीएम को जेल भेज दिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Jun 2019 01:25 AM (IST) Updated:Thu, 20 Jun 2019 06:34 AM (IST)
पूर्व बांका एडीएम ने किया सरेंडर, भेजा गया जेल
पूर्व बांका एडीएम ने किया सरेंडर, भेजा गया जेल

पटना। सीमेंट घोटाला मामले में निगरानी की विशेष अदालत में 70 वर्षीय पूर्व बांका एडीएम (उप समाहर्ता) चन्द्रशेखर प्रसाद ने आत्मसमर्पण कर दिया। आरोपित प्रसाद पर वारंट जारी था। जमानत आवेदन पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने जमानत आवेदन खारिज करते हुए आरोपित को न्यायिक हिरासत के तहत बेउर जेल भेज दिया। जमानत आवेदन का विरोध विजिलेंस के कनीय विशेष लोक अभियोजक आनंदी सिंह ने किया। विजिलेंस ने इस मामले में 19 नवंबर 2009 को प्राथमिकी दर्ज किया था।

अपनी दलील में कनीय विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि अभियुक्त का जमानत आवेदन अदालत पहले भी दो बार खारिज कर चुकी है। जब-जब जमानत खारिज हुआ आरोपित फरार रह कर पटना उच्च न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से अग्रिम जमानत लेने का प्रयास करता रहा, लेकिन सफलता नहीं मिली।

सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार 21 फरवरी 2011 को अभियुक्त के अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज किया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी बार 27 अक्टूबर 2014 को आरोपित का अग्रिम जमानत आवेदन खारिज किया। लगभग दस साल बाद वर्ष 2019 में आरोपित ने आत्मसमर्पण किया है। अपनी दलील में विशेष कनीय लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि बांका जिले में इंदिरा आवास योजना के तहत वर्ष 1993 में 50 हजार बोरा सीमेंट खरीदा जाना था। उस वक्त आरोपित एडीएम (विकास) चंद्रशेखर प्रसाद के पास नजारत का भी प्रभार था। आरोपित और तत्कालीन जिलाधिकारी देवेन्द्र प्रसाद सिन्हा ने आपस में षड्यंत्र रचकर बगैर निविदा निकाले अपने पसंदीदा सीमेंट आपूर्तिकर्ता मधुकर चौधरी को सीमेंट आपूर्ति करने का ठेका दे दिया। निविदा निकाले जाने की झूठी बात संचिका में दर्ज की गयी थी।

इतना ही नहीं आरोपित प्रसाद ने क्रय समिति का अनुमोदन भी नहीं लिया। समिति की बैठक कागज पर दिखलाई गई लेकिन समिति के सदस्य को कोई जानकारी नहीं दी गई। आरोपित प्रसाद ने सीमेंट आपूर्तिकर्ता को एडीएम (विकास) के रूप में 50 हजार बोरी सीमेंट का दाम 49 लाख रुपये आपूर्तिकर्ता को अग्रिम भुगतान की स्वीकृति दे दी। एडीएम (नजारत) के रूप में आपूर्तिकर्ता को आरोपित ने 49 लाख रुपये अग्रिम भुगतान भी कर दिया। कनीय विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को जानकारी दिया कि आपूर्तिकर्ता ने 50 हजार बोरी सीमेंट का मूल्य अग्रिम तो ले लिया लेकिन उसने तत्कालीन डीएम और तत्कालीन एडीएम से साठगांठ कर केवल 48 हजार 617 बोरी सीमेंट ही विभाग को भेजा। शेष 1383 बोरी सीमेंट जिसका मूल्य 13 लाख 5 हजार 534 रुपये होता था, इस राशि को तीनों आरोपितों ने आपस में बांट लिया। विदित हो कि इस मामले में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। आरोपित तत्कालीन बांका जिलाधिकारी देवेन्द्र प्रसाद सिन्हा ट्रायल अदालत में पूर्व में आत्मसमर्पण कर चुके हैं। आरोपित सिन्हा को पटना उच्च न्यायालय ने नियमित जमानत दिया था।

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