शरीर नष्ट होने के बाद भी आगे की यात्रा में धर्म देता है साथ

अग्नि देव के मुख से सभी देवताओं को आहुतियां प्राप्त होती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 11:59 PM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 11:59 PM (IST)
शरीर नष्ट होने के बाद भी आगे की यात्रा में धर्म देता है साथ
शरीर नष्ट होने के बाद भी आगे की यात्रा में धर्म देता है साथ

पटना। अग्नि देव के मुख से सभी देवताओं को आहुतियां प्राप्त होती हैं। इससे लोक में अभिष्ट की प्राप्ति होती है। वही ब्राह्माणों को भोजन कराने से देव एवं पितर दोनों प्रसन्न होते हैं।

ये बातें सत्संग के दौरान पंडित नरेंद्र नाथ पांडेय ने कहीं। स्वामी पशुपतिनाथ सर्व मंगला संस्थान की ओर से बुद्ध मार्ग स्थित सत्यनारायण ट्रस्ट परिसर में सहस्त्र चंडी यज्ञ के मौके पर सत्संग का आयोजन किया गया। सत्संग के दौरान महाराज कुशेश्वर चौधरी ने कहा कि संसार में एक मात्र धर्म ही श्रेष्ठ है जो मरने के बाद भी साथ देता है। शरीर के उपभोग में आने वाली जितनी वस्तुएं हैं वह एक-एक कर साथ छोड़ देती हैं। मृत्यु के बाद शरीर नष्ट होने के बाद भी आगे की यात्रा में धर्म ही साथ जाता है। ऐसे में मनुष्य के लिए धर्म का सही आचरण करना जरूरी है। संसार में धन, जिंदगी, जवानी और शरीर सबकुछ परिवर्तनशील और नाशवान है। मात्र धर्म अचल और शाश्वत तत्व है। वैसे तो व्यावहारिक जीवन में धर्महीन व्यक्ति पशु के समान मान जाता है।

नदी के समान है जीवन -

यज्ञ के दौरान सत्संग के मौके पर पंडित नरेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि जीवन एक नदी के समान है। जिस प्रकार नदी में दो किनारे हैं, उसी प्रकार जीवन में सुख और दुख के दो किनारे हैं। ये साथ-साथ चलने वाले द्वंद हैं। किंतु मनुष्य को अपने लक्ष्य से विमुख नहीं होना चाहिए। मन बहुत चंचल है जिसे एकाग्र करने की जरूरत है। ऐसे में निरंतर सत्संग एवं स्वाध्याय पर जोर देने की जरूरत है। वही मानस धुरंधर पंडित भगवान दास ने कहा कि भगवान भक्तों के अंदर उपज रहे अहंकार को समाप्त कर देते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने 'नारद मोह' की कथा सुनाई। मानस धुरंधर ने कहा कि महात्मा और ब्राह्माणों के मुख से निकली वाणी कभी असत्य नहीं होती है। ऐसे लोगों को किसी प्रकार से कष्ट देने का फल इंसान को अपने जीवन में भोगना पड़ता है।

अरणी मंथन के दौरान अग्नि देव को किया गया प्रकट -

सहस्त्र चंडी यज्ञ के दौरान सोमवार को अरणी मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। मंथन के दौरान वैदिक मंत्रों के साथ अग्नि कुंड में हवन कर अग्नि देव को प्रकट किया गया। अग्नि प्रज्वलित होने के बाद शमी और पीपल की टहनी से अग्नि कुंड की परिक्रमा कर पूजन किया गया। मौके पर यज्ञ समिति के उपेंद्र सिंह, नागेंद्र पांडेय, अक्षय तिवारी, सुधाकर सिंह आदि मौजूद थे।

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