बदली सोच, बही स्वच्छता की बयार
मृत्युंजय मानी पटना। स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 में देश के सबसे गंदे शहरों की सूची में पटना का नाम शामिल था।
मृत्युंजय मानी, पटना। स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 में देश के सबसे गंदे शहरों की सूची में पटना का नाम आने से अंकिता काफी आहत हुई। इस सर्वेक्षण ने उनकी सोच बदल दी। घर से निकलने वाले गीले-सूखे कचरे को अलग करने लगी हैं। गीले कचरे से जैविक खाद बनाकर छत पर लगे तुलसी, एलोवेरा, सदाबहार, तीन-चार तरह के फूल सहित अन्य पौधों में देती हैं। आज पौधे भी लहलहा रहे हैं और कचरे का निस्तारण भी समुचित तरीके से हो रहा है। वह खुद के साथ औरों को भी प्रेरित कर रही हैं।
एजी कॉलोनी के कृषि नगर की 27 वर्षीय अंकिता कहती हैं, सिर्फ नगर निगम के प्रयास से शहर चकाचक नहीं होगा। आम नागरिकों को भी जागरूक होना होगा। सभी के सहयोग से ही हमारा शहर स्वच्छ और सुंदर दिखेगा।
जैविक खाद बनाना काफी आसान : गृहिणी 27 वर्षीय अंकिता बताती हैं, गीले कचरे से जैविक खाद बनाना काफी आसान है। वह घर के गीले कचरे को एक जगह जमा करती हैं। पंद्रह दिन जमा करने के बाद उसे छोड़ देती हैं। एक-दो दिन पर कचरे के ढेर पर पानी डालती रहती हैं। पंद्रह-बीस दिन बाद जैविक खाद तैयार हो जाती है।
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जैविक खाद बना स्वच्छता
सर्वेक्षण में अव्वल आया इंदौर
स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर प्रदर्शन करने वाले इंदौर के लोग घरों से निकलने वाले गीले कचरे से जैविक खाद बनाते हैं। ऐसे में घरों से बाहर कम मात्रा में गीला कचरा निकलता है। पटना शहर को सुंदर बनाने के लिए हमें भी ऐसा ही करना होगा।
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बेकार प्लास्टिक से सजा रहीं घर
अंकिता बेकार प्लास्टिक का इस्तेमाल घर की खूबसूरती बढ़ाने और हरा-भरा बनाने के लिए करती हैं। वह प्लास्टिक बोतल में पौधे लगाती हैं। बताती हैं, अनुपयोगी प्लास्टिक को अलग करके डोर-टू-डोर आने वाले कचरा वाहन में डाल देती हूं। आसपास के लोगों, अपने दोस्तों को भी प्रेरित कर रही हूं।
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हर नागरिक को आगे आना होगा
अंकिता कहती हैं, पटना प्रदूषित शहर बनते जा रहा है। प्रदूषण के कारण बीमारिया बढ़ रही हैं। इससे सभी लोग प्रभावित हो रहे हैं। हर नागरिक को प्रदूषण रोकने के लिए आगे आना होगा।
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