Eid 2021 Date in India:12 मई को चांद दिखा तो 13 को ईद, नहीं तो 14 को तय, पटना के मौलानाओं ने दी है एक नेक सलाह

Eid 2021 Date in India पुराने और साफ कपड़े में भी नमाज पढ़ी जा सकती है। खर्च सीमित कर पैसे बचाएं और परेशानी के इस समय में दूसरों की मदद करें। उन्होंने कहा कि रमजान और ईद की नमाज घर में पढ़े जाने में भी अल्लाह की मर्जी शामिल है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 07:49 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 09:17 AM (IST)
Eid 2021 Date in India:12 मई को चांद दिखा तो 13 को ईद, नहीं तो 14 को तय, पटना के मौलानाओं ने दी है एक नेक सलाह
ईद मनाने को लेकर जान लें कुछ जरूरी बातें। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना सिटी, जागरण संवाददाता। इबादत का महीना रमजान का 27वां रोजा सोमवार को पूरा हुआ। रमजान की सर्वाधिक महत्वपूर्ण पांच रातों में से अंतिम शब ए कद्र मंगलवार की रात होगी। 12 मई को ईद का चांद देखने की अपील विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा की गयी है। इस दिन चांद दिखा तो 13 मई को ईद होगी। चांद नहीं नजर आने पर 14 मई को ईद होनी तय है। यह बातें इस्लामिक शिक्षाविदों ने कहीं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि गत वर्ष की तरह इस बार भी कोरोना के खतरे को देखते हुए ईद की नमाज घरों में पढ़ें। बिना गले मिले और हाथ मिलाए शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए ईद मनाएं।

जमात इस्‍लामी हिंद के मौलाना ने दी हिदायत

शरीअत में गले या हाथ मिलाना आवश्यक नहीं बल्कि पसंदीदा अमल है। जमात इस्लामी हिंद बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने लोगों के लिए अपील जारी करते हुए कहा कि कोरोना से बचने और दूसरों को बचाने के लिए लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन करें। ईद की नमाज अपने-अपने घर में पढ़ें। घर में चार या अधिक सदस्य जमा होने पर जमात कर लें। अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिए दो रिकअत नमाज अदा करें। कोरोना के खात्मे और परेशान इंसानों की मदद के लिए अल्लाह से खूब दुआ मांगें।

जरूरत को सीमित कर जरूरतमंदों की करें मदद

खानकाह इमादिया मंगल तालाब के सज्जादानशीं सैयद शाह शमीम अहमद मुनएमी ने कहा कि ईद मनाने के नाम पर बेवजह खर्च न करें। पुराने और साफ कपड़े में भी नमाज पढ़ी जा सकती है। खर्च सीमित कर पैसे बचाएं और परेशानी के इस समय में दूसरों की मदद करें। उन्होंने कहा कि रमजान और ईद की नमाज घर में पढ़े जाने में भी अल्लाह की मर्जी शामिल है। इंसानों के गुनाह से नाराज हुए अल्लाह को इबादत और दुआ कर मनाने का प्रयास निरंतर इंसान ही करे।

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