Republic Day Padma Award: दुलारी देवी ने दूसरे के घर बर्तन धो सीखी मिथिला पेंटिंग, उपहार में मिला पद्मश्री

कड़े संघर्षों की बदौलत मधुबनी जिले के रांटी गांव की दुलारी देवी को पद्मश्री पुरस्कार मिला। 12 साल की कम उम्र में दुलारी देवी की शादी हो गई थी। बेटी की मौत के बाद कला को बनाई दुनिया। 2011-12 में बिहार सरकार से मिला राज्य कला पुरस्कार।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 09:58 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 08:36 AM (IST)
Republic Day Padma Award: दुलारी देवी ने दूसरे के घर बर्तन धो सीखी मिथिला पेंटिंग, उपहार में मिला पद्मश्री
मिथिला पेंटिंग की कलाकार दुलारी देवी को मिलेगा पद्मश्री अवार्ड। जागरण फोटो।

प्रभात रंजन, पटना : मिथिला की माटी की बात ही निराली है। मिथिला की धरती ने जहां मिथिला पेंटिंग को एक नई ऊंचाई दी तो वहीं इससे जुड़ीं छह महिलाओं को पद्मश्री पुरस्कार दिलाया। खुशी इस बात की है कि इस वर्ष भी मिथिला पेंटिंग के लिए दुलारी देवी को पद्मश्री मिलेगा। बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली 54 वर्षीय दुलारी के अनुसार, रविवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से फोन के जरिए पद्मश्री मिलने की सूचना दी गई। सूचना पाकर भावुक हुईं दुलारी संघर्षों को साझा करते हुए फोन पर ही रो पड़ीं। बोलीं-'बेटा यह पुरस्कार हमारे संघर्षों का है। ' 

मां के साथ दूसरे के घर बर्तन धोकर होता था गुजारा :

मल्लाह जाति से संबंध रखने वालीं दुलारी देवी ने कहा, 'बेटा हम अनपढ़ जरूर हैं, इसके बावजूद कुछ भी सीखने की ललक बचपन से रही।' वे बताती हैं, पिता स्व. मुसहर मुखिया घर परिवार चलाने के लिए मजदूरी करते थे। वहीं, मां दूसरे के घर काम करने जाती थी। मेरी आयु जब दस वर्ष थी तो मैं भी मां के साथ काम करने जाती थी। एक दिन मुझे महासुंदरी देवी के घर बर्तन धोने का काम मिला। वह पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त व पेंटिंग में निपुण महिला थीं। उनके घर काम करते समय पेंटिंग की बारीकियों से अवगत होती रही। इसी दौरान मुझे पद्मश्री कर्पूरी देवी के साथ भी पेंटिंग सीखने का अवसर मिला।

कम उम्र में शादी बेटी की मौत का लगा सदमा

दुलारी देवी बताती हैं, उनकी शादी महज 12 साल की उम्र में हो गई थी। सात वर्ष ससुराल में बिताने के बाद बेटी का जन्म हुआ, लेकिन छह माह में बेटी की मौत हो गई। उसकी मौत के बाद मायके आई और फिर यहीं की होकर रह गई। फुर्सत के समय में घर-आंगन को माटी से लीपकर लकड़ी की कूची बना कल्पनाओं की आकृति भरने लगी। कर्पूरी के साथ मिलने के बाद हजार के आसपास पेंटिंग बनाई। फिर वर्ष 2012-13 में उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान आई, जिसके बाद राज्य कला पुरस्कार मिला। दुलारी के संघर्ष के किस्से गीता वुल्फ की पुस्तक 'फॉलोइंग माई पेंट ब्रश' और मार्टिन लिकॉज की फ्रेंच में लिखी पुस्तक 'मिथिला में दुलारी की जीवन गाथा व कलाकृतियां' है। पटना के बिहार संग्रहालय के उद्घाटन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुलारी देवी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया था। संग्रहालय में कमला नदी की पूजा पर बनी पेंटिंग को जगह दी गई है। उपेंद्र महारथी संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा, यह बिहार के लिए और खासतौर पर मिथिला पेंटिंग के लिए बड़ा गौरव है। मिथिला पेंटिंग के लिए दुलारी देवी को सातवां पद्मश्री मिलने जा रहा है। इसके पूर्व दुलारी देवी को 1999 में ललित कला अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है।

मधुबनी पेंटिंग में अब तक पद्मश्री पुरस्कार :

जगदंबा देवी - 1975

सीता देवी - 1981

गंगा देवी - 1984

महासुंदरी देवी - 2011

बौआ देवी - 2017

गोदावरी दत्त - 2018

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