एसएचजी, साइकिल, शराबबंदी और आरक्षण से सशक्त हुई महिलाएं : मोदी
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) साइकिल योजना से महिलाएं लाभान्वित हुई हैं।
पटना । उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), साइकिल योजना, शराबबंदी और महिला आरक्षण के कारण महिलाएं सशक्त हुई हैं। राज्य में विशेष रूप से महिलाओं के लिए 39 योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं पर 2019-20 में 9336 रुपये खर्च होने हैं। बिहार का कुल महिला बजट 30 हजार 874 करोड़ रुपये का है। उप मुख्यमंत्री 'लैंगिक समानता में कमी : स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक अवसर' विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन राजधानी के एक होटल में आद्री स्थित इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर द्वारा राज्य महिला विकास निगम व सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि पंचायत में महिलाओं को 50 फीसद और सरकारी नौकरियों में 35 फीसद आरक्षण, छात्राओं के लिए साइकिल योजना, स्वयं सहायता समूह (जीविका) से एक करोड़ महिलाओं का जुड़ना, शराबबंदी, दहेज प्रथा और बाल विवाह विरोधी अभियान महिला सशक्तीकरण की दिशा में गेम चेंजर साबित हुए हैं। शराबबंदी के बाद घरेलू हिंसा में 2016 की तुलना में 2018 में 13 फीसद की कमी आई है। मोदी ने बताया की सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसद आरक्षण देने से पिछले 3 वर्षो में बीपीएससी, बिहार एसएससी व पुलिस सेवा की कुल 40,884 रिक्तियों में से 20,572 पदों पर महिलाएं चयनित हुई हैं। शिक्षक नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण से 58 प्रतिशत महिलाएं शिक्षक बनी हैं।
: ग्रामीण क्षेत्रों में घटी महिला श्रमिकों की भागीदारी : डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट के इंडिया हेड गेविन मैकगिलिव्राय ने इस अवसर पर कहा कि लोगों के गलत विचारों को सही कर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिसा की समस्या को दूर किया जा सकता है। उन्होंने भारत और बिहार की महिला श्रमिकों पर चर्चा की। कहा कि महिलाओं के लिए उपयुक्त कार्यो की कमी और पितृसत्तात्मक सामाजिक प्रचलनों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की भागीदारी घटी है। हालांकि, दूसरा पक्ष यह है कि यहां 13 फीसद विमान चालक महिलाएं हैं।
: एसएचजी के कारण बढ़ी महिलाओं में आर्थिक स्वतंत्रता : बिल एंड मिलिंडा गेट्स फांउडेशन के निदेशक अलकेश वाधवानी ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों के कारण महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता में 38 से 55 फीसद तक की वृद्धि हुई है। आशा कार्यकर्ताओं को दिए गए मोबाइल फोन के जरिए लैंगिक समानता हासिल की जा सकती है। फाउंडेशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय और जीविका के साथ इसके लिए साझेदारी भी की है। इससे प्रचलनों और व्यवहार में बदलाव लाया जा सकेगा।
: घटी है बाल विवाह की दर : महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक एन. विजयालक्ष्मी ने इस अवसर पर बताया कि राज्य में बाल विवाह की दर 68 फीसद से घटकर 42 फीसद हो गई है। इसके साथ ही कुपोषण की दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। कुपोषण 55 फीसद से घटकर 48 फीसद हो गया है।
सम्मेलन में आए अतिथियों का स्वागत आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने किया। प्रणव सेन, आनंदी मणि और देवकी जैन समेत कई विशेषज्ञों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।