बिहार में अब ड्रोन से अवैध शराब पकड़ेगी पुलिस, जिओ टैगिंग और डिजिटल मैपिंग से होगी निगरानी
Liquor ban in Bihar बिहार में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब के धंधेबाज बाज नहीं आ रहे हैं। इसे देखते हुए मद्य निषेध विभाग व पुलिस ने ड्रोन से अवैध शराब के धंधे पर लगाम लगाने का फैसला किया है। पुलिस जिओ टैगिंग और डिजिटल मैप से भी निगरानी करेगी।
पटना, राज्य ब्यूरो। Liquor ban in Bihar अब राज्य के अंदर शराब (Illegal Liquor) की बड़ी खेप या फैक्ट्री (Illegal Liquor Factory) पकड़े जाने पर उस जगह की जिओ टैगिंग (Geo Tagging) की जाएगी। इसके जरिए उस जगह को डिजिटल मैप (Digital Map) पर चिह्नित कर दिया जाएगा, ताकि आगे उस जगह की निगरानी की जा सके। इसमें ड्रोन (Drone) की भी मदद ली जाएगी। मद्य निषेध विभाग व पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एक पखवारे में यह सुविधा शुरू हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में शराब का धंधा रोकने में इससे मदद मिलेगी।
स्थानीय स्तर परअवैध शराब बनाने लगे हैं धंधेबाज
मद्य निषेध विभाग अधिकारियों के अनुसार, बिहार में पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों से आने वाली शराब में कमी आई है। इससे कई जिलों में धंधेबाज स्थानीय स्तर पर देसी-विदेशी शराब बनाने लगे हैं। खासकर गांवों और दीयर क्षेत्र में शराब की खेप छिपाकर रखी जा रही है। पिछले दो-तीन माह में पुलिस ने ऐसे कई ठिकानों को छापेमारी कर चिह्नित किया है। शहर और मुख्य सड़क से दूर होने के कारण यह इलाके शराब के धंधेबाजों के लिए मुफीद थे। ऐसे में पुलिस ने इन जगहों की निगरानी की जरूरत महसूस की जिसके बाद जिओ टैगिंग की पहल की गई।
ड्रोन से निगरानी, एक क्लिक पर मिलेगी जानकारी
जिओ टैगिंग होने पर ऐसे सुदूरवर्ती इलाकों की निगरानी मुख्यालय स्तर पर एक क्लिक पर की जा सकेगी। अवैध शराब के लिए कुख्यात इलाकों की ड्रोन से तस्वीरें और वीडियो ली जाएंगी। लगातार निगरानी होगी ताकि दोबारा शराब का कारोबार शुरू न किया जा सके। पुलिस ऐसे ठिकानों की सूची भी बना रही है।
स्प्रिट की कमी होने पर बना रहे हैं जहरीली शराब
मद्य निषेध विभाग और इकाई ने पिछले ढाई माह में 4.29 लाख लीटर शराब पकड़ी है। इसमें 1.52 लाख लीटर देशी और 2.77 लाख लीटर विदेशी शराब है। बड़ी मात्रा में कच्ची स्प्रिट भी पकड़ी जा रही है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि नकली शराब बनाने में 80 फीसद स्प्रिट का इस्तेमाल होता है। स्प्रिट की खेप बाहर से ही मंगाई जाती है। पिछले दो माह में सख्ती के कारण स्प्रिट की आवक घटी है। इसकी कमी पूरी करने के लिए शराब माफिया स्प्रिट के साथ कई तरह के केमिकल मिला रहे हैं, जिससे इथनॉल कई बार मेथनॉल में बदल जा रही है। यही शराब के जहरीली होने का बड़ा कारण है। पुलिस को उम्मीद है कि जिओ टैगिंग और डिजिटल मैप से निगरानी होने पर जहरीली शराब में भी कमी आएगी।
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