एनएमसीएच की इमरजेंसी में बेड 40, भर्ती दोगुना मरीज

एनएमसीएच में भर्ती मरीजों को बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं कई दवाइयां।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 08:37 PM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 08:37 PM (IST)
एनएमसीएच की इमरजेंसी में बेड 40, भर्ती दोगुना मरीज
एनएमसीएच की इमरजेंसी में बेड 40, भर्ती दोगुना मरीज

- बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं कई दवाइयां, एसी बेकार

- ट्राली और जांच टेबल पर गलियारे में मरीज भर्ती कर हो रहा इलाज

जागरण संवाददाता, पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल की इमरजेंसी की चरमराई चिकित्सा व्यवस्था से मरीजों और स्वजनों की मुसीबत बढ़ी है। 40 बेड वाली इमरजेंसी में शनिवार को 77 मरीज भर्ती होने से अफरातफरी मची रही। बेड के अभाव में मरीजों को इमरजेंसी के रास्ते पर ट्राली और परीक्षण टेबल लगा कर भर्ती किया गया। मरीजों के कमरे का एसी भी काम नहीं कर रहा है। कम जगह में लगभग दोगुना मरीज भर्ती होने के कारण इमरजेंसी में दमघोंटू जैसे हालात बन गए हैं। इमरजेंसी में बेड नहीं मिल पाने तथा यहां के अव्यवस्थित हालात देख कर कर मरीज लौटने को मजबूर हैं।

इन सबके बीच बड़ी समस्या यह भी है कि इमरजेंसी में कई जरूरी दवाइयां उपलब्ध न होने से स्वजन को मरीज छोड़ कर दवा दुकानों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

इमरजेंसी में डाक्टरों एवं कर्मियों का कहना है कि जगह कम और मरीज अधिक होने के कारण चिकित्सा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है। मरीजों और स्वजनों का आक्रोश भी झेलना पड़ रहा है। मरीज को बेड नहीं उपलब्ध हो पा रहा है। इस कारण मरीज इमरजेंसी से लौट रहे हैं। बरामदे में इलाज करा रहे मरीज गर्मी से परेशान हैं। कई लोगों ने घर से पंखा लाकर मरीज के लिए लगाया है।

इमरजेंसी की छोटी हो गयी जगह

अधिकृत रूप से एनएमसीएच की इमरजेंसी में 30 बेड है। इसे बढ़ा कर 80 बेड तक किया गया। इन दिनों इमरजेंसी छोटी हो जाने से 40 बेड की ही क्षमता रह गयी है। इमरजेंसी के अंदर दो कैजुअल ओटी, एक्सरे रूम, ड्रेसर रूम, पैथोलाजी जांच केंद्र, एसओडी व पीओडी कमरा, जूनियर डाक्टर व नर्स का कमरा, रजिस्ट्रार कक्ष, न्यूरो विभाग की नव विकसित ओटी आदि है। इस कारण मरीजों के लिए जगह की कमी बरकरार है। ---- इमरजेंसी में केवल 40 बेड की जगह है। सीमित जगह में अतिरिक्त बेड लगा कर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। एनएमसीएच में मरीजों की संख्या अधिक बढ़ी है। ऐसे में, इमरजेंसी का विस्तार करने की आवश्यकता है। विभाग को लिखा गया है। कम हुई दवाइयों की मांग भेजी गयी है। खराब हुई एसी को ठीक कराया जाएगा। बेड बढ़ाने के लिए अब जगह नहीं है।

- प्रो. डा. विनोद कुमार सिंह, अधीक्षक, एनएमसीएच

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