कोरोना संक्रमण से होना है सुरक्षित तो जरूर करें ये काम, पटना एम्‍स और पीएमसीएच से आई ये खबर

Bihar Corona Vaccination News डेल्टा वैरिएंट से बचा रही कोरोना वैक्सीन की दो डोज केवल पांच फीसद मरीजों को ही करना पड़ा भर्ती अधिकतर गए होम आइसोलेशन में जून-जुलाई में संक्रमित हुए लोगों में 10 फीसद ले चुके दोनों डोज

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 06:38 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 11:34 AM (IST)
कोरोना संक्रमण से होना है सुरक्षित तो जरूर करें ये काम, पटना एम्‍स और पीएमसीएच से आई ये खबर
बिहार में तेजी से चल रहा वैक्‍सीनेशन का काम। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Corona Virus Update: कोरोना संक्रमण से बचना है तो वैक्सीन की दोनों डोज लेना जरूरी है। यह बात अस्पतालों के आंकड़ों से भी साबित हो रही है। जून और जुलाई में सेंटर आफ कोविड एक्सीलेंस एम्स पटना और पीएमसीएच में भर्ती कोरोना संक्रमितों में सिर्फ पांच फीसद ही ऐसे थे जो वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद अस्पताल पहुंचे। इनमें से 0.04 फीसद की ही मौत हुई है। हालांकि, जिन लोगों की वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद मौत हुई उनमें अधिकतर डाक्टर व चिकित्साकर्मी थे। इसका कारण उनका लगातार संक्रमितों के उपचार में लगा रहना बताया गया है। बिहार में दिसंबर तक छह करोड़ लोगों को कोविड का टीका लगाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय लगातार इसकी मानिटरिंग कर रहे हैं।

90 फीसद हेल्‍थ वर्कर रहे संक्रमण से सुरक्षित

वैक्सीन की दो डोज लेने वाले 90 फीसद हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर संक्रमण से सुरक्षित रहे। बताते चलें कि दूसरी लहर में प्रदेश में 80 फीसद से अधिक लोग कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हुए थे। विशेषज्ञों के अनुसार डेल्टा वैरिएंट वैक्सीन या पूर्व में हुए संक्रमण से विकसित एंटीबाडी की संख्या तेजी से कम करता है।

भर्ती होने वाले 10 दिन में हुए स्वस्थ

एम्स के कोरोना नोडल पदाधिकारी डा. संजीव कुमार ने बताया कि 16 जनवरी से शुरू टीकाकरण अभियान के बाद जून व जुलाई में जितने रोगी भर्ती हुए, उनमें करीब दस फीसद लोग वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे। जिन पांच फीसद को भर्ती करना पड़ा उनमें से अधिकतर हेल्थ व फ्रंटलाइन वर्कर थे। हालांकि, इनमें से अधिकतर को औसतन दस दिन में डिस्चार्ज कर दिया गया। वैक्सीन लेने के बाद जो लोग संक्रमित हुए या जिनकी मौत हुई है, अब उन मामलों का आधार बनाकर कारण जानने को अध्ययन किया जा रहा है। अब तक सामने आए मामलों के अनुसार वैक्सीन की दोनों डोज लेने के एक माह बाद भी 0.4 फीसद संक्रमितों की मौत की आशंका जताई जा रही है।

होम आइसोलेशन के लायक थे मरीज

पीएमसीएच के कोरोना नोडल पदाधिकारी डा. अरुण अजय के अनुसार वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद करीब पांच फीसद लोगों की रिपोर्ट पाजिटिव आई है। अधिकतर लोगों में इतने हल्के लक्षण थे कि उन्हें दवाएं लिखकर होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी है। अभी तक पीएमसीएच में वैक्सीन लेने के बाद गंभीर रोगी भर्ती नहीं हुआ है।

वैक्सीन की प्रभावशीलता पर अध्ययन

कोरोना वायरस की तरह इसकी वैक्सीन की प्रभावशीलता को लेकर भी डाक्टरों से लेकर आमजन तक के दिमाग में कई सवाल उठ रहे हैं। इसे देखते हुए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना में गहन अध्ययन किया जा रहा है। इसके तहत देखा जाएगा कि भर्ती होने वालों में से कितने फीसद लोग वैक्सीन की दो या ङ्क्षसगल डोज लेने के बाद भर्ती हुए है। उनमें कैसे लक्षण थे, कितने दिन में स्वस्थ हुए, उनमें से कितने सामान्य लोग थे और कितने हेल्थ केयर या फ्रंटलाइन वर्कर थे समेत तमाम पहलुओं को शामिल किया जाएगा।

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